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क्या गुरदासपुर हार से बीजेपी आलाकमान कोई सबक लेगा?

👤 Veer Arjun Desk 6 | Updated on:18 Oct 2017 6:39 PM GMT
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गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व राजस्थान में प्रस्तावित चुनावों की रणनीति पर अमल कर रहे पीएम मोदी तथा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पंजाब में भाजपा की लगातार गिर रही साख पर चितिंत होना चाहिए। गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत को बीजेपी के लिए करारा झटका माना जा रहा है। हालांकि पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि उसकी वजह पार्टी इकाई में चल रही गुटबाजी और राष्ट्रीय नेतृत्व की बेरुखी भी है। पार्टी के भीतर भी यह आंकलन किया जा रहा है कि इस हार का पंजाब की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ेगा क्योंकि राज्य में बीजेपी और कमजोर हो गई है। बीजेपी के लिए चिंता का विषय यह भी होना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव सिर पर है और हिमाचल का एक बड़ा हिस्सा पंजाब के गुरदासपुर के बार्डर से जुड़ा हुआ है, जहां इस उपचुनाव का सीधा असर पड़ सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की बढ़ती लोकप्रियता को कांग्रेस हिमाचल में भी जरूर भुनाने का प्रयास करेगी। पंजाब की तरह से ही हिमाचल प्रदेश से भी बहुत संख्या में लोग सेना में हैं। कैप्टन भी सेना से जुड़े रहे हैं और सैनिकों व उनके परिजनों के हक में आवाज बुलंद करते रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार के मैदान में उनकी मौजूदगी हिमाचल के कांग्रेसी किले को बचाने में मददगार साबित हो सकती है। गुरदासपुर उपचुनाव बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि उसके पास यह अवसर था कि वह इस सीट को फिर से जीतकर कांग्रेस की राज्य सरकार की असफलताओं को उजागर कर सकती थी लेकिन पार्टी इसमें नाकाम रही है। बीजेपी के एक सीनियर लीडर के मुताबिक हार से ज्यादा बीजेपी के लिए हार का अंतर है। लगभग दो लाख वोटें का अंतर बड़ा अंतर माना जाता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस उपचुनाव में खुद पार्टी के आला नेताओं ने कोई दिलचस्पी नहीं ली। यहां तक कि कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता इस उपचुनाव में प्रचार करने तक नहीं गया। इस उपचुनाव में भाजपा-अकाली के बीच फांक नजर आई। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए। उधर कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह से लेकर नवजोत सिंह सिद्धू सहित बड़े नेता लगातार अपने उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करते रहे। इससे भी कांग्रेस के प्रति लोगों में सकारात्मक संदेश गया। उधर विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद आम आदमी पार्टी दावा करती रही कि पंजाब में उसकी लहर थी और केंद्र सरकार की राह पर वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी करके उसे हराया गया, उसे भी अब अपनी जनाधार की हकीकत का पता चल गया होगा। इस उपचुनाव में भाजपा की हार के पीछे एक बड़ा कारण नोटबंदी और फिर जीएसटी लागू होने के बाद किसानों और कारोबारियों पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को लेकर उनकी नाराजगी को भी माना जा रहा है। क्या बीजेपी आलाकमान चिंतित है?
-अनिल नरेन्द्र

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