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हिन्द की शान ताजमहल पर नफरत की सियासत?

👤 Veer Arjun Desk 6 | Updated on:20 Oct 2017 6:22 PM GMT
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दुनियाभर में मोहब्बत की निशानी के रूप में अपनी पहचान रखने वाले और दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा का ताजमहल आज एक गैर जिम्मेदार भाजपा विधायक की बकवास के कारण बिना वजह विवादों का विषय बना हुआ है। गौरतलब है कि मेरठ के सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा था कि गद्दारों के बनाए ताजमहल को इतिहास में जगह नहीं मिलनी चाहिए। यह भारतीय संस्कृति पर धब्बा है। ताजमहल बनाने वाले मुगल शासक ने उत्तर प्रदेश और हिन्दुस्तान से सभी हिन्दुओं का सर्वनाश किया था। ऐसे शासकों और उनकी इमारतों का नाम अगर इतिहास में होगा तो वह बदला जाएगा। ऐसा बेहूदा बयान संगीत सोम ने क्यों दिया? माना जा रहा है कि पार्टी में कुछ दिनों से अलग-थलग चल रहे संगीत सोम ने चर्चा में रहने के लिए ऐसा विवादित बयान दिया है। साथ ही खुद के खिलाफ पार्टी विरोधी काम करने के आरोप में कार्रवाई करने की जिला संगठन की सिफारिश को रोकने का दबाव बनाने के लिए सोची-समझी रणनीति के तहत यह विवादित बयान दिया है। दरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सोम ने भाजपा विरोधी उम्मीदवार का समर्थन किया था। हालांकि जिसे उन्होंने समर्थन दिया वह हार गया। इसको लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा ने प्रदेश नेतृत्व को पत्र लिखकर सोम के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी। संगीत सोम उग्र सांप्रदायिक बयानों के लिए जाने जाते हैं। ताजमहल के बारे में उन्होंने जो कुछ कहा वह उनके खास तरह के मिजाज का ही इजहार लगता है। लेकिन इस सिलसिले की शुरुआत हुई इस खबर से कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग ने राज्य के पर्यटन स्थलों की सूची से ताजमहल को हटा दिया है। इस पर विवाद उठना ही था। स्वाभाविक ही राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई। और अगर भाजपा के लोग सोचते हैं कि ऐसे बयानों से विवादों में उन्हें सियासी फायदा होगा तो उनकी यह धारणा गलतफहमी ही साबित होगी। ताजमहल के साथ पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, वे इसे दुनियाभर को आकर्षित करने वाली एक ऐसी धरोहर के तौर पर देखते हैं जिस पर उन्हें नाज है। उत्तर प्रदेश इस पर फख्र करता आया है कि ताजमहल उनके पास है। यह भारत की स्थापत्य और कला-कारीगरी का एक बेमिसाल नमूना है। मुट्ठीभर लोग ही होंगे जो इसे धर्म या संप्रदाय के चश्मे से देखें। मजे की बात यह है कि खुद भाजपा सरकार के संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, संगीत सोम जैसे लोगों की राय से इत्तेफाक नहीं रखते। दो दिन पहले ही उन्होंने कहा कि ताजमहल को पर्यटन स्थलों की सूची से हटाए जाने का कोई सवाल ही नहीं है, यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल है और देश की चन्द सबसे खूबसूरत धरोहरों में शुमार है। भारत घूमने आने वाला शायद ही कोई पर्यटक ऐसा हो जो ताजमहल का दीदार न करना चाहे। ताजमहल हो लाल किलाöये धरोहर हमारी विरासत का अटूट हिस्सा हैं और इनकी ऐतिहासिकता पर नए सिरे से कुछ कहने-सुनने से वह हकीकत नहीं बदलेगी, जो इतिहास के पन्नों में इनके बारे में अरसे से दर्ज है। चुनावी राजनीतिक फायदे-नुकसान के नजरिये से कुछ नेतागण इन पर कोई टिप्पणी करते हैं तो उन्हें समझना होगा कि ऐसी बयानबाजी खुद उनकी राजनीति को ज्यादा दूर नहीं ले जाएगी। बल्कि यह हो सकता है कि ऐसे नेता अपने बिगड़ैल बयानों की वजह से जनता में अपनी जमीन खो बैठें। भाजपा अनुशासन का दम भरती है। फिर क्या कारण हैं कि उनके एक विधायक को ऐसा बेहूदा बयान देने की खुली छूट दी जा रही है। यह भी देखना बाकी है कि संगीत सोम पर पार्टी आलाकमान क्या कार्रवाई करती है?

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