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अपने ही घर में घिरती जा रही भाजपा

👤 Veer Arjun Desk 3 | Updated on:17 March 2018 6:44 PM GMT
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लोकसभा उपचुनावों में मिली सफलता के बाद विपक्ष अब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास पस्ताव की तैयारी में है। वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास पस्ताव का नोटिस दिया है। उधर तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने शुकवार को भाजपा के साथ अपने चार साल पुराने गठबंधन को खत्म कर लिया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग हो गया। मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू द्वारा भाजपा-नीत गठबंधन से अलग होने की घोषणा करने के कुछ घंटे वाद ही तेदेपा ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास पस्ताव पेश किया। एनडीए सरकार से तेलुगु देशम पार्टी का नाता तोड़ लेने का फैसला क्या भाजपा सहयोगियों में बढ़ रही बेचैनी का संकेत दे रहा है? भाजपा के सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना तो यही मानती है। शिवसेना ने आगामी आम चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा से तालमेल के लिए इंकार कर दिया है। यही नहीं शिवसेना ने अब गोवा के संघ पमुख रहे सुभाष वेलिंगकर के साथ दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा जताया है। बिहार में हाल तक भाजपा के सहयोगी रहे जीतन राम मांझी ने तीन दिन पहले ही अपनी पार्टी हम का विलय राजद में कर दिया। इसी राज्य में भाजपा के एक और सहयोगी रालोसपा भी उससे नाराज चल रही है। ऐसी ही हालत यूपी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की है। जिसके अध्यक्ष ओमपकाश राजभर हैं, पहले उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव में आठ सीटों पर लड़ने की घोषणा की थी फिर उन्होंने यूपी सरकार पर नकली मुठभेड़ कराने का आरोप लगाया। हाल ही में उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा से अलग होकर लड़ने का ऐलान किया। आज एनडीए के कुल 48 सदस्य दल हैं जिनमें से केवल 13 दलों का लोकसभा में पतिनिधित्व है। उनके लोकसभा सांसदों की संख्या 331 है यानि 35 दल ऐसे हैं जिनका एक भी सांसद नहीं है। यदि नाराज शिवसेना और टीडीपी को हटा दिया जाए तो एनडीए में शामिल भाजपा के अलावा अन्य किसी दल के लोकसभा सांसदों की संख्या दहाई में भी नहीं है। लगातार उपचुनाव हार रही भाजपा के लिए अब यह भी मुश्किल आ रही है कि पार्टी के अंदर भी असंतोष होता जा रहा है। भाजपा के भीतर ही पार्टी के खिलाफ स्वर उठने लगे हैं। कई नेताओं का कहना है कि पार्टी बड़बोलेपन का शिकार हो गई है, जमीनी हकीकत से दूर होती जा रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं आजमगढ़ से पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने कहा कि उपचुनाव में हार के लिए दलित और पिछड़ों की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराते हुए चेतावनी दी कि पार्टी अगर समय रहते नहीं चेती तो 2019 में भी उसे करारी हार मिलेगी। भाजपा के दो सांसदो ने भी सरकार और पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए। सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह ने कहा कि हार पर वह ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, मगर नेताओं को यह सोचना चाहिए कि हार से कार्यकर्ता खुश क्यों हैं? ओड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक ने कहा कि भाजपा बहुत तेजी से रसातल में जा रही है। भविष्य में हमारे किसी मोर्चे में शामिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। उपचुनाव में करारी हार के बाद शिवसेना ने फिर भाजपा पर तंज कसा है। शिवसेना ने कहा कि यह सिर्प टेलर है, फिल्म अभी बाकी है। तेजस्वी यादव का कहना है कि जनता ने केन्द्र और बिहार में दो इंजन वाली एनडीए सरकार को खारिज कर दिया है। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा अहंकार, गुस्सा व अति आत्मविश्वास लोकतांत्रिक राजनीति के हत्यारे हैं। चाहे वह मित्र हों या विपक्ष के नेता ही क्यों ने हों। शिवसेना ने तो अगले आम चुनाव के बाद लोकसभा में भाजपा-कांग्रेस के संख्या बल की भविष्यवाणी कर दी। पार्टी ने कहा, उत्तर पदेश और बिहार उपचुनावों के परिणाम विपक्ष में उत्साह का संचार करेंगे। हालांकि भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्ष के पास कोई योग्य व्यक्ति नहीं है।

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