Home » संपादकीय » जनरल रावत की पथराव करने वालों को चेतावनी

जनरल रावत की पथराव करने वालों को चेतावनी

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:15 May 2018 6:33 PM GMT
Share Post

कश्मीर घाटी में पथराव की बढ़ती घटनाओं और आतंकवाद बढ़ने के संकेतों के बीच सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने उपद्रवियों को कड़ा संदेश दिया है। जनरल रावत ने स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें आजादी कभी नहीं मिलने वाली और इसके लिए हथियार उठाने वालों से हम सख्ती से निपटेंगे। जम्मू-कश्मीर की अस्थिर स्थिति पर यह उनका सबसे बड़ा बयान है। उन्होंने सीधा हमला उस आजादी पर बोला है जिसके नाम पर इन नौजवानों को भड़काया जा रहा है। इसलिए जनरल रावत जब कहते हैं कि यह आजादी उन्हें नहीं मिलने वाली तो इसका सीधा अर्थ यह है कि घाटी में जिस तरह से और जिस तरह की आजादी के सपने बेचे जा रहे हैं। वे बेमतलब तो हैं ही, साथ ही अव्यावहारिक भी हैं। यह सीमा पार से आई एक चुनौती है जिसे नौजवानों के रूप में भारतीय सेना के सामने खड़ा किया जा रहा है। जाहिर है इसका जवाब भारतीय फौज को ही देना है और वह माकूल जवाब दे भी रही है। जनरल रावत ने स्पष्ट किया कि सेना का व्यवहार कभी बर्बर नहीं रहा। इसी स्थिति में सीरिया व पाकिस्तान में टैंक और हवाई हमलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जनरल रावत के बयान की पुष्टि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी एजाज गुजरी के वीडियो से भी होती है, जिसमें उसने माना है कि वह झाड़ियों में छिपा था, जहां सेना उसे मार सकती थी लेकिन उसे बंदी बनाकर उसकी जान बचाई। उसने कहा कि सेना ने मुझे नई जिन्दगी दी है। गुजरी ने गलत रास्ते पर चल रहे अपने साथियों को भी हथियार छोड़कर सामान्य जिन्दगी जीने की अपील की है। पाकिस्तानी करतूतों का भी पर्दाफाश करते हुए उसने बताया कि जिस दिन वह पकड़ा गया उसी दिन पाकिस्तान से आतंकियों को निर्देश मिले थे कि भारतीय सेना बर्बरता कर रही है, इसलिए वे उपद्रव फैलाएं। घाटी में शिक्षित युवाओं का आतंकी गुटों में शामिल होना भी पाकिस्तानी साजिश का ही संकेत है। जनरल रावत ने राज्य की महबूबा मुफ्ती सरकार को भी संदेश दे दिया है जो ईद और अमरनाथ यात्रा का हवाला देकर पथराव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई रोकने पर जोर दे रही हैं। सेना और सुरक्षा बल कश्मीर में हमेशा से ही अपनी भूमिका अच्छे से निभाते रहे हैं। वहां आपत्ति दरअसल राजनीतिक दलों से ज्यादा है, हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे अलगाववाद संगठनों से ज्यादा है। यह अपनी भूमिका को सही ढंग से नहीं निभाते। कश्मीरी नौजवानों का मुख्य धारा में शामिल करने का मुद्दा हमेशा ही राजनीति की भेंट चढ़ा है। समस्या के समाधान में राजनीतिक दल भी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन इन सबको अंजाम देने में प्रदेश की राजनीति नाकाम रही है। इसलिए नौजवानों को समझाने का काम भी थलसेना प्रमुख को ही करना पड़ रहा है। हम जनरल रावत के बयान से पूरी तरह सहमत हैं और बहादुर जवानों को अत्यंत कठिन स्थिति से निपटने के लिए सलाम करते हैं।
-अनिल नरेन्द्र

Share it
Top