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कैराना और फूलपुर उपचुनाव का महत्व
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उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर में हाल ही में उपचुनाव में विपक्ष को मिली जीत से उत्साहित राष्ट्रीय लोक दल ने घोषणा कर दी कि वह 28 मई को होने वाले कैराना लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के पूर्ण समर्थन में उतरेगी। कुछ दिन पहले लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के बीच हुई लंबी मुलाकात में इस पर सहमति बनी थी कि तबस्सुम सपा के बजाय रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी और सपा उनका समर्थन करेंगी। कैराना और नूरपुर में होने वाले दोनों उपचुनाव के नतीजे सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि इन्हीं नतीजों के आधार पर एक साल से भी कम में होने वाले लोकसभा चुनाव का कुछ अंदाजा लग सकेगा। तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी बसपा का समाजवादी पार्टी से गठबंधन होगा। विधानसभा उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर और फूलपुर में मिली सफलता को देखते हुए इसकी पहले से उम्मीद की जा रही थी। अगर उत्तर प्रदेश में बसपा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व रालोद मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो इनका वोटर शेयर (पिछले लोकसभा चुनाव में) 49.3 प्रतिशत बनता है। भाजपा का 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल वोट शेयर था 43.3 प्रतिशत। इस तरह अगर वोट बंटते नहीं और फाइट वन टू वन होती है तो भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। कैराना और नूरपुर चुनाव से थोड़ा अंदाजा हो जाएगा। उधर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने सपा और बसपा के बीच भ्रष्टाचार का पैक्ट होने और कांग्रेस तथा रालोद पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई प्रदेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में 21 चीनी मिलें औने-पौने दाम पर बेचे जाने की जांच में सच सामने लाकर इस कॉकटेल को खत्म करेगी। भाजपा ने दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की पुत्र मृगांका सिंह को कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए उतारा है। इनका मुकाबला संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार तबस्सुम बेगम से होगा। भाजपा को हाल ही में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में भी इसी प्रकार के मुकाबले का सामना करना पड़ा था। भाजपा सांसद हुकुम Eिसह के निधन के बाद यह सीट फरवरी से रिक्त है। वहीं बिजनौर जिले के उपचुनाव नूरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा ने दिवंगत भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर सपा ने नईमुल हसन को मैदान में उतारा है। आम चुनाव के सेमीफाइनल माने जा रहे कैराना उपचुनाव को लेकर बड़ा सवाल यह है कि इसके परिणाम से क्या वैस्ट यूपी की आगे की सियासत में कोई बदलाव आएगा? अगर विपक्ष का प्रयोग यहां भी सफल हो गया तो इसका सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव में पड़ेगा। वहीं अगर यहां कमल खिलता है तो यह संदेश जाएगा कि दंगे के बाद जाट और मुस्लिम के बीच खड़ी हुई नफरत की दीवार अब भी नहीं टूटी है। वैस्ट यूपी में हमेशा से दलित और जाट के बीच टकराव जगजाहिर रहा है लेकिन संदेश जाएगा कि बसपा के साथ आने के बाद भी जातीय टकराव कम नहीं हुआ है।
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