menu-search
Thu Apr 25 2024 10:34:28 GMT+0530 (India Standard Time)
Visitors: 41825
राज्यपाल के विवेकाधिकार की समीक्षा जरूरी है
Share Post
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सुनवाई के दौरान बेबाक टिप्पणी की कि राज्यपाल के विवेकाधिकार की न्यायिक समीक्षा होनी चाहिए और बेशक वह संविधान की उच्चतर संस्था है। लेकिन उनकी कार्रवाई को देखा जाएगा कि वे कानूनी रूप से वैध है या नहीं? जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली तीन जजों की विशेष पीठ ने कहा कि यह वृहत्तर मुद्दा है और इसकी सुनवाई 10 हफ्ते बाद होगी। पीठ ने टिप्पणियां वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद राम जेठमलानी की याचिका पर की। याचिका में जेठमलानी ने कहा कि सर्वोच्च अदालत को इस मामले में व्यवस्था देनी चाहिए क्योंकि राज्यपाल ने ऐसे तरीके से काम किया है जो उन्हें नहीं करना चाहिए था। पीठ ने स्पष्ट किया था कि राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाने के मामले में किसी अन्य को पक्ष बनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन पीठ जेठमलानी को सुनने के लिए तैयार हो गई। जेठमलानी ने पीठ के अन्य दो जजोंöजस्टिस भूषण और बोब्डे से भी अनुमति मांगी और उसके बाद कहा कि राज्यपाल का आदेश संविधानिक शक्तियों का भयानक दुरुपयोग है, इससे संवैधानिक कार्यालय बदनाम हुआ है। भाजपा ने जो कहा उन्होंने वही मूर्खतापूर्ण कार्रवाई कर दी। राज्यपाल का आदेश भ्रष्टाचार को खुला आमंत्रण है। कर्नाटक मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां तथ्य खुद बोल रहे हों वहां विवेकाधिकार नहीं होना चाहिए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा ने राज्यपाल वजुभाई वाला को लिखे पत्र में बहुमत का दावा किया था। इस पर बैंच ने पूछा कि क्या आप वह पत्र लाए हैं? वेणुगोपाल ने कहा कि यह पत्र रोहतगी के पास है। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव बाद हुए गठबंधन का स्थान सबसे बड़े दल से नीचे होता है। कांग्रेस-जद (एस) की याचिका की सुनवाई कर रही पीठ के न्यायाधीश जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि सरकारिया आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सबसे बड़े दल को राज्यपाल सरकार बनाने के लिए बुलाएंंगे। अगर उस दल के पास बहुमत है तो कोई समस्या नहीं है। अगर बहुमत न हो तो दो स्थितियां होती हैंöचुनाव पूर्व गठबंधन और चुनाव बाद का गठबंधन। चुनाव पूर्व गठबंधन के पास अगर बहुमत है तो सरकार बनाने के लिए बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि चुनाव बाद के गठबंधन की स्थिति वह नहीं होती जो चुनाव पूर्ण गठबंधन की होती है। हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। राज्यपाल कभी-कभी पक्षपातपूर्ण फैसले करते हैं जो अलोकतांत्रिक होते हैं। संविधान में भी राज्यपाल के अधिकारों का विश्लेषण नहीं है, इसलिए बेहतर है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल के अधिकारों को परिभाषित करे। यह विवेकाधिकार समाप्त होना चाहिए।
-अनिल नरेन्द्र
© 2017 - 2018 Copyright Veer Arjun. All Rights reserved.
Designed by Hocalwire