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फीस न देने की सजा

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:13 July 2018 6:41 PM GMT
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राजधानी दिल्ली में बल्लीमारान के एक स्कूल राबिया गर्ल्स पब्लिक स्कूल में फीस न जमा करने पर 59 बच्चियों को स्कूल के बेसमेंट में पांच घंटे तक बंधक बनाए रखना अमानवीय तो है ही साथ-साथ चौंकाने वाली घटना भी है। घटना का मंगलवार को तब पता चला जब 12.30 बजे पेरेंट्स बच्चों को लेने स्कूल पहुंचे। तब उन्हें पता चला कि 59 बच्चियां क्लास रूम में नहीं थीं। टीचर्स से पूछने पर पता चला कि फीस नहीं देने की वजह से बच्चियों की अटेंडेंस नहीं लगाई गई है। उन्हें बेसमेंट में रखा गया है। स्कूल की हेड मिस्ट्रेस फराह दीबा खान के कहने पर ऐसा किया गया। यह तो उन दादानुमां महाजनों जैसी करतूत हो गई, जो कर्ज लेने वालों को बंधक बनाकर उनके परिजनों से कहते हैं कि पैसे लाओ और इसे वापस ले जाओ। उस स्कूल के प्राचार्य के दिमाग में इस प्रकार बच्चियों को उनकी वर्ग कक्षा से निकालकर तहखाने में बिठाए रखने का विचार आया कहां से? ठीक है कि अभिभावकों ने समय से फीस नहीं जमा की या कुछ ने कई महीनों से फीस नहीं भरी होगी। पर फीस वसूलने का यह तरीका स्वीकार्य नहीं हो सकता है। इसमें इन मासूम बच्चों की क्या गलती है? यह तो बच्चों का अपहरण करना हो गया। अपहरण में भी तो ऐसा ही होता है, पैसा दो बंधक छोड़ देंगे। इस गर्मी में बेसमेंट में बच्चों को बंधक बनाकर रखने में प्राचार्य, टीचर्स को शर्म नहीं आई। यह घटना दुर्भाग्य से कहना पड़ता है कि जहां कई निजी स्कूलों में बच्चों के साथ की जा रही अमानवीयता की एक बानगी है। वहीं यह व्यवसायीकरण के कारण शिक्षा के मंदिरों की गिरती नैतिक स्थिति का भी परिचायक है। बल्लीमारान के इस स्कूल के प्रबंधन के खिलाफ अभिभावकों ने पुलिस में मामला अवश्य दर्ज कराया है, लेकिन पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस स्कूल के प्रबंधन को इस तरह दंडित किया जाए कि वह दोबारा कभी भी इस तरह का अपराध न कर पाए। शिक्षा जिस तरह एक व्यवसाय में तब्दील हो गई है उसमें इस तरह की घटना अस्वाभाविक नहीं है। इस प्रकार की ज्यादातर घटनाएं हमारे सामने आती ही नहीं। अगर यह एक-दो बच्चियों को बंधक बनाने का मामला होता तो शायद कभी भी पता नहीं चलता पर क्योंकि यह एक साथ 59 बच्चियों का मामला है इसलिए यह मामला मीडिया और पुलिस के सामने आ गया। हमारा मानना है कि सरकारी शिक्षा तंत्र को ऐसा बनाया जाए ताकि नर्सरी से लेकर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय फिर से आकर्षण का केंद्र बनें। दिल्ली सरकार को इस स्कूल के खिलाफ कार्रवाई कर दूसरे स्कूलों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहिए।

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