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कभी खेतों में दौड़ती थी, जूते तक नहीं थे और जीता गोल्ड

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:16 July 2018 6:40 PM GMT
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वर्ल्ड कप फुटबॉल में ज्यादा आकर्षण होने के कारण एथलीट हिमा दास की ऐतिहासिक जीत दब गई पर हिमा दास ने भारत का झंडा ऊंचा कर दिया। फिनलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिमा दास ने 400 मीटर की दौड़ जीत ली। हिमा दास ने गोल्ड मैडल जीता। हिमा विश्वस्तर पर ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मैडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। इससे पहले भारत की किसी भी महिला या पुरुष खिलाड़ी ने जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड नहीं जीता। इस तरह हिमा की उपलब्धि उन तमाम एथलीटों पर भारी है, जिनके नाम दशकों से दोहरा कर हम थोड़ा-बहुत संतोष करते रहे हैं, फिर चाहे वह फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह हों या पीटी ऊषा। एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। 18 साल की हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे। हिमा असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली है। परिवार में छह बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थी। स्थानीय कोच ने एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी। पैसों की कमी ऐसी कि हिमा के पास अच्छे जूते तक नहीं थे। सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब हिमा ने डिस्ट्रिक्ट रेस जीती तो कोच निपुन दास भी हैरान हो गए। वह हिमा को गुवाहाटी ले आए जहां उन्हें इंटरनेशनल स्टैंर्ड के स्पाइक पहने को मिले। इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमा की 400 मीटर रेस में गोल्ड मैडल जीतने वाली रेस में खास बात यह थी कि इस दौड़ के 35वीं सैकेंड तक हिमा टॉप थ्री में भी नहीं थी, लेकिन आखिरी कुछ मीटरों में हिमा ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सभी को पीछे छोड़ दिया। राष्ट्रगान बजा तो हिमा की आंखों में आंसू छलक पड़े। हिमा के गांव में जीत पर मिठाइयां बंटीं और उनके घर में बधाइयों का तांता लग गया। हिमा ने अपने प्रदर्शन के बारे में कहाöमैं पदक के बारे में सोचकर ट्रैक पर नहीं उतरी थी। मैं केवल तेज दौड़ने के बारे में सोच रही थी और मुझे लगता है कि इसी वजह से मैं पदक जीतने में सफल रही। उन्होंने कहाöमैंने अभी कोई लक्ष्य तय नहीं किया है, जैसा कि एशियाई या ओलंपिक खेलों में पदक जीतना। मैं अभी केवल इससे खुश हूं की मैंने कुछ विशेष हासिल किया है और अपने देश का गौरव बढ़ाया है। हम हिमा दास की इस ऐतिहासिक जीत पर बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भी वह ऐसे ही देश का गौरव बढ़ाएंगी।

-अनिल नरेन्द्र

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