Home » संपादकीय » महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को दिया सुप्रीम कोर्ट ने झटका

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को दिया सुप्रीम कोर्ट ने झटका

👤 manish kumar | Updated on:5 Oct 2019 7:57 AM GMT

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को दिया सुप्रीम कोर्ट ने झटका

Share Post

-अनिल नरेन्द्र

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को मंगलवार को उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने अपने फैसले में फड़नवीस द्वारा दो लंबित मामलों (आपराधिक) की जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के मामले में बुंबई हाई कोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया।

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी (फड़नवीस) को दो लंबित मामलों की जानकारी थी। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले सतीश उकी की अपील पर यह निर्णय दिया। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि देवेंद्र फड़नवीस को इन कथित अपराधों के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मुकदमे का सामना करने की जरूरत नहीं है। अदालत ने इस मामले में 23 जुलाई को सुनवाई करते हुए कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। अदालत ने उस समय टिप्पणी की थी कि फड़नवीस द्वारा 2014 के चुनाव के समय हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने की भूल-चूक के बारे में मुकदमे की सुनवाई के दौरान फैसला हो सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका सरोकार बहुत ही सीमित मुद्दे पर है कि क्या पहली नजर में इस मामले में जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए आकर्षित होती है या नहीं। यह प्रावधान गलत हलफनामा दाखिल करने की सजा के बारे में है और इसमें कहा गया है कि अगर कोई प्रत्याशी या उसका प्रस्तावक किसी लंबित आपराधिक मामले के बारे में नामांकन पत्र में कोई भी जानकारी उपलब्ध कराने में विफल रहता है या उसे छुपाता है या गलत जानकारी देता है, तो ऐसे व्यक्ति को छह महीने तक की कैद या जर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

उकी की दलील थी कि फड़नवीस ने दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देकर गलत हलफनामा दाखिल किया और इसके बावजूद निचली अदालत हाई कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पर मुकदमा चलाने के लिए पहली नजर में इसमें कोई मामला नहीं बनता है। ये दोनों आपराधिक मामले कथित कवर और जालसाजी के हैं जो फड़नवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में दायर हुए थे लेकिन इनमें अभी तक आरोप निर्धारित नहीं किए गए हैं। कांग्रेस ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को पद पर बने रहने का कोई नैतिक आधार नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हलफनामा मामले में सुनवाई आगे चलेगी। उन्होंने कहा कि नैतिकता और भाजपा विपरीत दिशा में चलते हैं। लेकिन फिर भी हमारा यह कहना है कि जब आपराधिक मामला चलता है तो उन्हें (फड़नवीस को) नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है। गोहिल ने कहा कि अगर आरोपी मुख्यमंत्री पद पर बैठा रहेगा तो कानूनी प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है। वहीं फड़नवीस के कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले का फड़नवीस के जनप्रतिनिधि के रूप में बने रहने का अगला चुनाव लड़ने पर असर नहीं पड़ेगा।

Share it
Top