Home » संपादकीय » अगर फिल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो देश में मंदी कैसे है ?

अगर फिल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो देश में मंदी कैसे है ?

👤 Veer Arjun | Updated on:17 Oct 2019 7:01 AM GMT

अगर फिल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो देश में मंदी कैसे है ?

Share Post



-अनिल नरेन्द्र

केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में एक चौंकाने वाला बयान दिया। रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को तीन फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर एक दिन में हुई 120 करोड़ रुपए की कमाई का उदाहरण देते हुए कहा कि कहां है मंदी? प्रसाद ने शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था में सुस्ती को पूरी तरह खारिज किया। उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुस्ती से इंकार करते हुए कहा कि मेरा फिल्मों से लगाव है। फिल्में बड़ा कारोबार कर रही हैं। दो अक्तूबर को तीन फिल्में रिलीज हुई हैं।

फिल्म उद्योग के विशेषज्ञ ने कहा है कि नेशनल हॉलीडे के दिन इन तीन फिल्मों ने 120 करोड़ रुपए का कारोबार किया है। अब जब देश की इकोनॉमी थोड़ी साउंड है तभी तो 120 करोड़ रुपए का रिटर्न एक दिन में आ रहा है। यह तथ्यात्मक रूप से सही है। मुंबई फिल्मों की राजधानी है और मैंने वहीं यह बात कही थी। हमें अपनी फिल्म इंडस्ट्री पर बहुत गर्व है जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। टैक्स कलैक्शन में भी इस उद्योग का बड़ा योगदान है।

रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा था कि एनएसओ (नेशनल सैंपल सर्वे)ऑफिस के बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े पूरी तरह गलत हैं। मुंबई में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अगर फिल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो फिर देश में मंदी कैसे है? हमारा सवाल है कि क्या फिल्मों के धंधे से पता चल सकता है कि देश की अर्थव्यवस्था का क्या हाल है?

सोशल मीडिया पर रविशंकर प्रसाद के इस बयान पर भी खासी प्रतिक्रिया देखी गई। उनके इस बयान पर चुटले और मीमंस भी बने। द लारंग लामा नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, सर कोमल नहाटा को वित्तमंत्री बना देते हैं। क्या कहते हैं? सोल ऑफ इंडिया नाम के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। आज यह लोग बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों का हवाला दे रहे हैं। कल बोलेंगे थियेटर के बाहर ब्लैक करना भी रोजगार है, पक्का बोलेंगे।

एक अन्य यूजर ने लिखा है, ई गोला पर अब नहीं रहना। इस साल फरवरी में एनएसओ के लीक आंकड़ों के अनुसार साल 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 प्रतिशत थी जो पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। यह आंकड़े बाहर आने पर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। हाल के दिनों में बेरोजगारी और आर्थिक सुस्ती के सवालों को लेकर सरकार को कड़े सवाल झेलने पड़े हैं। कुछ समय पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारतीय युवा गाड़ियां खरीदने की बजाय ओला-उबर से जाना पसंद करते हैं इसलिए ऑटो सेक्टर में गिरावट आई है। वित्तमंत्री के इस बयान पर भी काफी आलोचना हुई थी।

रविशंकर प्रसाद ने इस आर्थिक मंदी से जुड़े अपने बयान पर विवाद उठने के बाद रविवार को उसे वापस ले लिया। प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लोगों की संवेदनाओं का हमेशा ख्याल रखती है। उन्होंने कहा कि उनके बयान के एक हिस्से को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। एक संवेदनशील इंसान होने के नाते वह अपना वक्तव्य वापस ले रहे हैं।

Share it
Top