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किसानों से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं

👤 Veer Arjun | Updated on:17 Nov 2019 4:05 AM GMT

किसानों से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं

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-अनिल नरेन्द्र

चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रहने की आशंका है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक शोध विभाग की रिपोर्ट एकोटैप ने यह अनुमान लगाया है। विकास दर में गिरावट के लिए बैंक ने वाहनों की बिक्री में कमी बुनियादी क्षेत्र की वृद्धि पर और निर्माण एवं बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। आठ कोर सेक्टरों में आठ साल में सबसे बड़ी गिरावट आई है। नोटबंदी, जीएसटी की ज्यादा मार दिहाड़ी के मजदूरों पर पड़ी है। साल 2016 में देशभर में रिकॉर्ड 25164 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की। यह आंकड़ा 2014 से 60 प्रतिशत ज्यादा है, जब दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के कुल 15735 मामले दर्ज किए गए थे।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में किसानों के मुकाबले दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के दोगुने मामले सामने आए हैं। 11379 किसानों की तुलना में 25164 दिहाड़ी मजदूरों ने खुदकुशी की। हालांकि किसान आत्महत्या का 2016 का आंकड़ा 2014 के 12360 मामलों से काफी कम है। दो साल देरी से जारी एक्सिडेंटल डैथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि 2016 में गृहणियों की खुदकुशी के मामले 2014 के 20148 से बढ़कर 21563 हो गए।

भारत में गृहणियां सर्वाधिक खुदकुशी करने वाला वर्ग नहीं रही। 2015 के बाद 2016 में लगातार दूसरी बार गृहणियों के मुकाबले दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या की अधिक घटनाएं रिकॉर्ड की गईं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के असंगठित प्रोफेसर अनमित्रा रॉय चौधरी दिहाड़ी मजदूरों की दुर्दशा के लिए गैर-कृषि क्षेत्र पर कृषि क्षेत्र की निर्भरता को जिम्मेदार ठहराते हैं। 2014 और 2015 में लगातार दो साल सूखा पड़ने से गैर-कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की आपूर्ति बढ़ गई। इसका सीधा असर न सिर्प मजदूरी, बल्कि काम करने की उपलब्धता पर भी पड़ा। रॉय चौधरी यह भी कहते हैं कि 2019 में जारी सामायिक श्रम बल सर्वे रिपोर्ट में साल 2004 से 2011 और 2011 से 2017 के बीच भारत में दिहाड़ी मजदूरी की वृद्धि दर आधी होने का दावा किया गया है। यह भी दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ती आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकता है। फिर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगी हुई है।

हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन कैशर और कोयला आधारित उद्यमों का संचालन भी फिलहाल बंद है। इससे दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़ और भिवाड़ी जैसे शहरों में बड़ी संख्या में दिहाड़ी मजदूर प्रभावित हुए हैं। उन्हें लेबर चौराहों पर काम के इंतजार में घंटों भटकते देखा जा सकता है। गुरुग्राम में अनुमानित पांच हजार और नोएडा में चार हजार दिहाड़ी मजदूर काम न मिलने से परेशान हैं। गाजियाबाद में बड़ी संख्या में मजदूर घर लौटने लगे हैं। यह सभी के लिए खासतौर पर सरकारों के लिए चिंता का विषय है।

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