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आर्थिक मंदी पर अब अपनों के निशाने पर आई मोदी सरकार

👤 Veer Arjun | Updated on:6 Dec 2019 6:44 AM GMT

आर्थिक मंदी पर अब अपनों के निशाने पर आई मोदी सरकार

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-अनिल नरेन्द्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के छह माह पूरे कर लिए हैं। इस दौरान भारत, अभूतपूर्व सुधार की गति का गवाह बना है। मोदी ने सोशल मीडिया पर कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने से लेकर आर्थिक सुधार तक, लाभकारी संसद से लेकर निर्णायक विदेश नीति तक, ऐतिहासिक कदम उठाए गए। मोदी सरकार के तमाम मंत्री भी 180 दिन की उपलब्धियां गिना रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि देश अभूतपूर्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। उत्पादकता लगातार गिरती जा रही है, जीडीपी कम होती जा रही है, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। हमारी बात तो छोड़िए अब तो भाजपा के सहयोगियों के भीतर भी गिरती अर्थव्यवस्था पर सवाल उठते जा रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार की नाकामियों का ही नतीजा है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की विकास दर पिछले बीते छह सालों के मुकाबले सबसे कम दर्ज हुई है।

इस मसलों पर विरोधी दलों की ओर से किए जा रहे आक्रामक हमलों के बीच अब सरकार के सगे-साथियों व अपनों के बीच भी भारी उबाल और असंतोष का माहौल दिखाई पड़ रहा है। जहां एक ओर ताजा आंकड़ों के सामने आने के बाद भाजपा की ओर से सरकार का खुलकर बचाव करने की परंपरा का निर्वाह करने से परहेज बरता जा रहा है वहीं दूसरी ओर जदयू और अकाली दल सरीखे राजग के घटक दलों ने सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर खुले तौर पर अपना असंतोष दर्ज कराते हुए इससे निपटने के लिए नसीहतों की बड़ी पोटली खोल दी है। जहां अकाली दल ने तो सीधे तौर पर सरकार की प्रतिभा की कमी का इल्जाम मढ़ दिया है, वहीं दूसरी ओर जदयू ने सरकार की आर्थिक नीतियों को निप्रभावी व देश के लिए नुकसानदेह करार देते हुए इसमें तत्काल तब्दीली किए जाने की मांग कर दी है।

यहां तक कि भाजपा के राज्यसभा सांसद व आर्थिक मामलों के वरिष्ठ जानकार डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने देश के मौजूदा आर्थिक परिदृश्य को लेकर भारी निराशा का इजहार किया है और यहां तक कह दिया है कि अगर समय रहते सरकार ने अपनी नीतियों में व्यापक सुधार की राह नहीं पकड़ी तो निकट भविष्य में विकास दर के आंकड़े और भी तेजी से गोता खाएंगे। स्वामी ने तो अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों को खारिज करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की योग्यता, दक्षता और कार्यक्षमता पर भी सीधे शब्दों में सवाल खड़े कर दिए हैं।

आर्थिक मोर्चे पर भारी नाकामी के दौर से गुजर रही मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए स्वामी ने कहा कि अव्वल तो निर्मला को अर्थशास्त्र का ज्ञान ही नहीं है और दूसरे जीडीपी के मौजूदा आंकड़े से भले ही विकास दर साढ़े चार प्रतिशत बताई जा रही है लेकिन हकीकत में यह डेढ़ प्रतिशत पर आ चुकी है। जदयू ने मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के लिए अर्थशास्त्रियों व जानकारों की बैठक बुलाने की सलाह देते हुए कहा है कि इस मामले में राजनीति पूर्वाग्रह का प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए और समस्या का हल तलाशने में विरोधी दलों के शीर्ष नेताओं से भी सलाह लेने में संकोच नहीं किया जाना चाहिए।

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