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लिंगायत मठ में पहला मुस्लिम प्रधान पुरोहित

👤 manish kumar | Updated on:29 Feb 2020 5:56 AM GMT

लिंगायत मठ में पहला मुस्लिम प्रधान पुरोहित

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-अनिल नरेन्द्र

ऐसे समय जब राजधानी दिल्ली सांप्रदायिक दंगों की चपेट में है एक उत्साहवर्धक खबर आई है। कर्नाटक के लिंगायत मठ में एक मुस्लिम युवक को अपना प्रधान पुरोहित चुनकर नायाब मिसाल रखी है। 33 साल के दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला ने 26 फरवरी को गडग स्थित मठ में पद्भार संभाला। लिंगायत 12वीं सदी के समाज सुधारक बसवन्ना की शिक्षाओं को मानने वाला दक्षिण भारत का प्रमुख समुदाय है। लिंगायत गुरुओं के अनुसार उनके समुदाय में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है।बसवन्ना की शिक्षाओं में विश्वास रखने वाले सभी नागरिक समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं।

वहीं शरीफ ने बताया कि वह बचपन से आटा-चक्की पर काम करते हुए खाली समय में बसवन्ना की शिक्षाएं पढ़ते थे। उनसे प्रेरणा लेकर वह समाज में न्याय और सौहार्द बढ़ाने के लिए काम करना चाहते हैं। शरीफ विवाहित हैं और उनकी तीन बेटियां व एक बेटा है। शरीफ रहमानसाब मुल्ला को मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शांति धाम मठ का प्रधान बनाया जा रहा है। गडग के असुति गांव में स्थित मठ का संबंध कुलबुर्गी में 350 साल पुराने कोरानेश्वर मठ में है।

खजूरी के मठ प्रधान मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने बताया कि बसवा देव के विचार सभी के लिए हैं। उनके आस्थावानों में जाति-धर्म मायने नहीं रखते, मठ सभी के लिए खुले हैं। शरीफ का मठ प्रधान बनना कल्याण राज्य स्थापित करने का अवसर है, जिसके तहत बसवा ने 12वीं सदी में न्याय व बराबरी की कल्पना की थी।


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