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तीन माह से रोड बंद, लोग हलकान

👤 manish kumar | Updated on:20 March 2020 4:08 AM GMT

तीन माह से रोड बंद, लोग हलकान

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-अनिल नरेन्द्र

कालिंदी पुंज से सरिता विहार के बीच रोड नम्बर 13ए पिछले तीन माह से बंद है। इस वजह से यहां से रोजाना गुजरने वाले उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के सात लाख लोगों को परेशानी हो रही है। रोड बंद होने के कारण लोग रोजाना दो घंटे के करीब जाम में फंस रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय दुकानदारों को अब तक करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका के चलते यहां चल रहे प्रदर्शन पर रोक लगा दी। लेकिन प्रदर्शनकारी हैं कि यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। रोड खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए दो वार्ताकार नियुक्त किए थे। कई दौर की बातचीत के बाद भी रोड खोलने को लेकर कोई नतीजा नहीं निकल पाया। पुलिस अधिकारी, स्थानीय दुकानदार और आसपास के लोगों ने कई बार प्रदर्शनकारियों से एक तरफ की रोड खोलने का आग्रह किया, लेकिन प्रदर्शनकारी हैं कि अपनी मांग पूरी हुए बिना हटने को तैयार नहीं हैं।

इस बात को लेकर नियमित रूप से इस रोड का इस्तेमाल करने वालों और आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों में बहुत गुस्सा है। कोरोना वायरस के खतरे के बीच मंगलवार को शाहीन बाग पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की प्रदर्शनकारियों से तीखी बहस हो गई। अधिकारियों ने वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शन खत्म करने की अपील की तो वह भड़क उठे और धरना जारी रखने का ऐलान किया। अधिकारियों ने करीब दो घंटे तक कानून का हवाला देकर समझाया, लेकिन वह नहीं मानें। बातचीत विफल होने पर प्रशासन की ओर से कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उधर प्रशासन व पुलिस के शाहीन बाग पहुंचने की सूचना पर लोगों की भीड़ अचानक बढ़ गई। दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए एक स्थान पर 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाई है। आदेश के उल्लंघन पर केस दर्ज कर गिरफ्तारी हो सकती है। सड़क घेरकर चल रहे शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। शाम को यहां बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का बड़ा जमावड़ा होता है।

भीड़ को देखते हुए मंगलवार दोपहर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने कोरोना के खतरे के मद्देनजर सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए उनसे अपने घरों में जाने को कहा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी कहासुनी हुई। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कह दिया कि वह रास्ते से एक इंच भी नहीं हटेंगे। इसी दौरान प्रदर्शन स्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में यह स्पष्ट कर दिया कि कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा तो फिर अब क्या झगड़ा बचा है। और किसी की खातिर नहीं अपनी सुरक्षा के लिए (कोरोना वायरस) प्रदर्शनकारियों को अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए और अपने घरों में सुरक्षित लौट जाना चाहिए।


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