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आर्थिक पैकेज : आंकड़ों का मायाजाल

👤 Veer Arjun | Updated on:23 May 2020 8:15 AM GMT

आर्थिक पैकेज : आंकड़ों का मायाजाल

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-अनिल नरेन्द्र

भारत सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की देशविदेश में आलोचना हो रही है। कईं राजनीतिक दलों ने इसे आंकड़ों की बाजीगरी बताया है। वहीं व््रोडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज में अर्थव्यवस्था के लिए तत्कालिक प्राोत्साहन का आभाव है और हो सकता है कि यह देश की वृद्धि को बहाल करने के लिए पर्यांप्त न हो। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक असर को कम करने के लिए व देश को आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ रुपए की डोज दी थी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच किस्तों में इस पैकेज की घोषणा की थी। रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि पैकेज की करीब आधी राशि राजकोषीय कदमों से जुड़ी है, जिसकी घोषणा पहले की जा चुकी है। साथ ही इसमें रिजर्व बैंक की मौद्रिक राहत वाली घोषणाओं के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले अनुमान को भी जोड़ लिया गया। यानि पहले की जा चुकी घोषणाओं की नए सिरे से पैकिग करके पीएम ने पेश कर दिया है।

मूडीज इंवेस्टमेंट सर्विस ने मंगलवार को कहा कि इस आर्थिक पैकेज से वित्तीय संस्थानों के लिए परिसम्पतियों के जोखिम में कमी आएगी, लेकिन इससे कोविड-19 का नकारात्मक असर पूरी तरह खत्म नहीं होगा। राजनीतिक दलों ने इस योजना को आड़े हाथों लिया है। कांग्रोस ने इस 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के दावों को आंकड़ों की बाजीगरी और देश के साथ धोखा करार देते हुए कहा है कि गरीब, मजदूर, किसान, कारोबारी से लेकर उदृाोग किसी को सरकार ने वुछ नहीं दिया है। कांग्रोस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा के अनुसार पीएम का ऐलान केवल हवाईं घोषणाएं हैं और साफ है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सरकार की कोईं सोच नहीं है। इसे पैकेज कहना हास्यास्पद है और कोईं अर्थशास्त्री भी इसे स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि इसमें राहत सहायता नहीं कर्ज की व्यवस्था है। वाम दलों ने इस आर्थिक पैकेज को भ्रमित करने वाला और आंकड़ों का मायाजाल करार दिया है। भाकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कईं ट्वीट करके कहा—यह भ्रामक है, वेंद्र द्वारा संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्यों की हस्तांतरण की जाने वाली राशि और भारतीय रिजर्व बैंक का साधन बढ़ाने के पैसले को मोदी सरकार राज्यों को दी गईं मदद के रूप में दिखा रही। सरकार गत पांच दिनों से आंकड़ों का मायाजाल दिख रही है और इस भारी संकट में गरीबों और असुरक्षित लोगों के लिए वुछ भी नहीं कर रही है।

पॉपुलर प्रांट ऑफ इंडिया ने एक बैठक में पारित प्रास्ताव में कहा कि प्राधानमंत्री का 20 लाख करोड़ का प्राोत्साहन पैकेज देश के सामने आने वाले असली मुद्दों को हल करने में विफल रहा है। यह केवल धनी पूंजीपतियों और व्यवसायों के लिए है। लॉकडाउन पैकेज के बहाने सरकार, भाजपा के पसंदीदा कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए निजीकरण के खुफिया एजेंडे को लागू कर रही है। विभिन्न अर्थशस्त्रियों द्वारा पैकेज के विश्लेषण से खुलासा हुआ है कि सरकार ने पिछली योजनाओं और घोषणाओं को नए पैकेज के रूप में शामिल करके देश को गुमराह करने की घोषणा की है। इसमें निराशा के अलावा वुछ ठोस नहीं नजर आता।

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