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दुनिया में सामूहिक नरसंहार का दोषी चीन

👤 Veer Arjun | Updated on:26 May 2020 7:31 AM GMT

दुनिया में सामूहिक नरसंहार का दोषी चीन

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-अनिल नरेन्द्र

कोरोना वायरस महामारी को लेकर रहस्य बना हुआ है। लगभग पूरी दुनिया इस जानलेवा बीमारी की चपेट में है। इस महामारी से होने वाली मौत का ग्राफ हर दिन बढ़ता जा रहा है। जाहिर है कि पूरी दुनिया की जिज्ञासा बनी हुईं है कि आखिर इस विनाशकारी वायरस की उत्पत्ति हुईं वैसे? यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह वायरस मानव निर्मित है या उपर वाले का श्राप? अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मानें तो उनका विचार तो साफ है। वह इसके लिए चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को जिम्मेदार मानते हैं। ट्रंप ने बुधवार को फिर चीन पर हमला बोला। उन्होंने बीजिंग को इस महामारी के कारण दुनिया में हुए सामूहिक नरसंहार का दोषी करार दिया।

उन्होंने ट्वीट में लिखा—यह चीन की अक्षमता ही थी और वुछ नहीं, जिसके कारण दुनियाभर में यह सामूहिक नरसंहार हुआ। विश्व समुदाय ने कोरोना के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का दरवाजा खटखटाया है। भारत समेत दुनिया के 62 देशों ने इस स्वास्थ्य संगठन से यह जानना चाहा कि कोरोना वायरस की रोकथाम में उसकी क्या भूमिका रही? डब्ल्यूएचओ पर सबसे बड़ा आरोप यही लगा है कि उसने जानते-बुझते दुनिया को कोरोना महामारी के बारे में पहले से सतर्व नहीं किया और इसी का नतीजा रहा कि लगभग सभी देश इस महामारी की चपेट में आ गए और बचाव के लिए पहले से कोईं तैयारी नहीं कर पाए। आरोप यह भी है कि डब्ल्यूएचओ ने ऐसा चीन के दबाव में किया। पर जो हो, अब जांच होगी और उम्मीद की जाती है कि हकीकत सामने आएगी। लेकिन अब ज्यादा बड़ा सवाल यह है कि यह जांच कितनी निष्पक्ष होगी? कौन इसमें सव््िराय तौर पर हिस्सा लेगा और कौन पर्दे के पीछे से इसमें भूमिका निभाएगा? हालांकि यह किसी से छिपा नहीं कि डब्ल्यूएचओ की घेराबंदी दुनिया के दो ताकतवर मुल्क अमेरिका और चीन की लड़ाईं का नतीजा है। चीन और अमेरिका के बीच अरसे से शीतयुद्ध चल रहा है।

सारे कवायद बता रहे हैं कि वाशिंगटन-बीजिंग पर सिर्प शब्द के प्राहार में ही नहीं जुटा बल्कि वह उसके विरुद्ध ज्यादा ठोस रणनीति बना रहा है। अमेरिका में चन्द महीने बाद ही राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और कोरोना महामारी के चलते वहां 90 हजार से अधिक लोगों की मौत ने डोनाल्ड ट्रंप की सारी चुनावी रणनीति बिगाड़ दी है। यही वजह है ि़क वह कभी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर निशाना साधते हैं तो कभी डब्ल्यूएचओ को धमकाते हैं और चीन के विरुद्ध अपने देश में राष्ट्रवादी ज्वार पैदा करने की कोशिश तो खैर कर ही रहे हैं। इसमें कोईं दो राय नहीं कि कोविड-19 मामले में चीनी रुख से दुनिया के काफी देश नाराज हैं और शायद विश्व जनमत को भांपते हुए ही वह वायरस संकट की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच में सहयोग करने के लिए राजी भी हुआ है। दुनिया के 60 से अधिक देश जानना चाहते हैं कि इस महामारी की रोकथाम में क्या डब्ल्यूएचओ ने वाकईं कोईं लापरवाही बरती और वह बीजिंग के आगे झुका, जैसे कि अमेरिकी राष्ट्रपति दावा करते हैं? इसकी जांच के नतीजे आने में तो वक्त लगेगा पर कोरोना के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को जो झटका लगा है उससे उबरने के रास्ते तलाशने में तमाम देश जुट गए हैं।

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