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कौड़ियों के भाव मिली जमीन-मुफ्त इलाज करें ये अस्पताल

👤 Veer Arjun | Updated on:30 May 2020 6:05 AM GMT

कौड़ियों के भाव मिली जमीन-मुफ्त इलाज करें ये अस्पताल

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-अनिल नरेन्द्र

कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि के बाद अपनी मां को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए चक्कर काटने वाले एक व्यक्ति की वीडियो क्लिप का हाईं कोर्ट ने बुधवार को संज्ञान लिया। कोर्ट ने केन्‍द्र और आम आदमी पाटा (आप) सरकार को ऐसे मरीजों के लिए की गईं व्यवस्था का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की बैंच ने वीडियो कांप्रोंसिंग के जरिये मामले की सुनवाईं की। बैंच ने कहा कि मौजूदा हालात में यह वीडियो क्लिप कईं गंभीर सवालों को जन्म देती है।

बैंच ने कोरोना के लिए कारगर हैल्पलाइन बनाने और मरीजों को लाने के लिए एम्बुलैंस मुहैया कराने सहित कईं निर्देश जारी किए हैं। बैंच ने वेंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वे उन हैल्पलाइन के नम्बरों का विवरण पेश करें जो एक्टिव हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने वीडियो क्लिप में उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए न्याय मित्र भी नियुक्त किया। कोर्ट ने कहा कि न्याय मित्र हैल्पलाइन नम्बरों पर फोन भी करेंगे और फोन करने वालों की मदद में इनके प्राभावी होने के बारे में अपनी रिपोर्ट देंगे। यह मामला तीन जून को चीफ जस्टिस के सामने सुनवाईं के लिए रखा जाएगा क्योंकि उनकी बैंच ही जनहित याचिकाओं पर विचार कर रही है।

सोशल मीडिया पर वायरल इस व्यक्ति के वीडियो के मुताबिक उसने 19 मईं को अपनी मां को एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल कराया था। वहां 21 मईं को उनके कोविड-19 से संक्रमित होने की पुष्टि हुईं। इसके बाद निजी अस्पताल ने किसी अन्य अस्पताल में वेंटिलेटर और बैड का बंदोबस्त करने के लिए उससे कहा। उसने कईं अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन कोईं नतीजा नहीं निकला। वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि हैल्पलाइन नम्बरों पर भी कोईं जवाब नहीं मिला। उधर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वेंद्र सरकार से कहा कि उन निजी अस्पतालों की पहचान की जाए, जहां कोविड-19 मरीजों का मुफ्त या कम से कम खर्च में इलाज किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि जिन अस्पतालों को मुफ्त या कौिड़यों के भाव में जमीनें दी गईं हैं, वहां इनका इलाज नाममात्र दरों पर क्यों नहीं होना चाहिए? चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस त्रषिकेश रॉय की पीठ वकील सचिन जैन की उस याचिका पर सुनवाईं कर रही है जिसमें निजी या कारपोरेट अस्पतालों में इलाज के लिए लागत संबंधी नियमों की मांग की गईं है। कोर्ट ने मामले में सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है।

याचिका में न्यूज रिपोर्ट का हवाला देकर निजी अस्पतालों पर भारी-भरकम बिल वसूलने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि जब देश महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है, तब निजी अस्पतालों जो सार्वजनिक जमीन पर चल रहे हैं और धर्मार्थ संस्थानों की श्रेणी में हैं, उन्हें इन मरीजों का मुफ्त इलाज करने के लिए कहा जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि अन्य निजी अस्पतालों की दरों को भी सरकार द्वारा निश्चित लागत के आधार पर विनियमित किया जाना चाहिए। यह बहुत अच्छी बात है कि अदालतों ने कोरोना मरीजों को आ रही दिक्कतों का संज्ञान लेते हुए इन्हें हल करने में दिलचस्पी दिखाईं है। जो काम सरकारों को करना चाहिए वह अदालतें कर रही हैं।

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