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लगभग आजीवन राष्ट्रपति

👤 Veer Arjun | Updated on:5 July 2020 7:23 AM GMT

लगभग आजीवन राष्ट्रपति

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-अनिल नरेन्द्र

करीब दो दशक से रूस की सत्ता पर काबिज ब्लादिमीर पुतिन ने जनमत संग्राह के जरिये उन संवैधानिक बदलावों पर मुहर लगवा ली है, जिससे और 16 वर्षो तक अपना सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो गया है। जनमत संग्राह में पुतिन की दावेदारी को समर्थन मिला है। कोरोना संकट और विपक्षी नेताओं के जबरदस्त विरोध के बीच यह जनमत संग्राह सात दिनों तक चला और बुधवार को खत्म हुआ। जनमत संग्राह के आधार पर 84 साल की उम्र तक पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे।

संविधान संशोधन के जरिये पुतिन का मौजूदा कार्यंकाल खत्म होने के बाद दो अतिरिक्त कार्यंकाल के लिए राष्ट्रपति पद मिलेगा। वर्ष 1952 में पैदा हुए पुतिन 2036 में 84 साल के हो जाएंगे। रूस में लेनिन से लेकर येल्तसिन तक कोईं भी नेता अपना 80वां जन्मदिन नहीं देख पाया है। 80 साल की उम्र के बाद भी सत्ता में काबिज रहने वाले पुतिन पहले नेता होंगे। पुतिन के कार्यंकाल के दौरान रूसी लोगों की जीवन अवधि औसतन 10 साल तक बढ़ी है। इस साल पुतिन 68 के हो जाएंगे और मौजूदा दौर में किसी रूसी व्यक्ति का औसतन जीवन काल माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जनमत संग्राह के दौरान कोरोना महामारी की वजह से मतदान प्रक्रिया काफी धीमी रही। चुनाव बूथ पर लोगों की भीड़ ज्यादा नहीं रही। इसलिए मतदान को पूरा होने में एक सप्ताह लगा। संविधान संशोधन कराने के लिए जनमत संग्राह में समर्थन पाने की खातिर पुतिन ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था।

पुतिन ने कहा था कि हम उस देश के लिए मतदान कर रहे हैं, जिसके लिए हम काम करते हैं और जिसे हम अपने बच्चों और पोते-पोतियों को सौंपना चाहते हैं। विपक्षी नेताओं ने जनमत संग्राह को लेकर सवाल उठाए हैं। क्रोमलिन के पूर्व राजनीतिक सलाहकार ग्लैब पाव्लोव्सकी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बावजूद राष्ट्रपति ने जनमत संग्राह करवाया है। ऐसे संकट के समय पर जनमत संग्राह करवाकर पुतिन ने एक तरह से अपनी लोकि‍प्रियता को आजमाने की कोशिश की है। ऐसे समय जब कोविड- 19 के साथ ही अमेरिकन-चीन और भारत-चीन तनाव चल रहा है, पुतिन की इस जीत के वैश्विक और क्षेत्रीय निहितार्थ भी समझने की जरूरत है। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों के तकाजे के अनुरूप ही पुतिन को बधाईं दी है। बेशक भारत अपने द्विपक्षीय मामलों में किसी तीसरे पक्ष का दखल स्वीकार नहीं करता, मगर रूस से अपने रिश्तों को वह वूटनीतिक रूप से चीन के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है।

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