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दुनिया की 70 प्रातिशत वैक्सीन मेड इन इंडिया हैं

👤 Veer Arjun | Updated on:7 July 2020 5:27 AM GMT

दुनिया की 70 प्रातिशत वैक्सीन मेड इन इंडिया हैं

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-अनिल नरेन्द्र

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईंसीएमआर) ने 15 अगस्त तक कोरोना वायरस की स्वदेशी वैक्सीन लांच करने का लक्ष्य रखा है। काउंसिल ने चयनित चिकिस्तक संस्थाओं और अस्पतालों को भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित की जा रही कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। आईंसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने उन 12 वेंद्रों को पत्र भेजा है, जहां कोवैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण किया जाना है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी वेंद्र हर हाल में 7 जुलाईं तक ट्रायल में शामिल किए जाने वाले लोगों का पंजीकरण कर लें। इसमें कोईं देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार कोईं कोरोना वैक्सीन इतने एडवांस स्टेज पर पहुंची है। वैक्सीन का परीक्षण 1125 लोगों पर होना है। पहले चरण में 375 और दूसरे में 750 लोगों पर यह परीक्षण किया जाएगा। पहले चरण में 18 से 55 वर्ष के लोग रखे जाएंगे।

दूसरे में 12 साल से छोटे बच्चे और 56 से 65 साल तक के लोग शामिल किए जाएंगे। पहले चरण को तीन समूहों में बांटा गया। हर समूह में 125-125 लोग रहेंगे। 28 दिन तक इस पर अध्ययन किया जाएगा। इस समय पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन की रिसर्च चल रही है। वुछ वंपनियों ने तो दावा किया है कि उन्होंने कोरोना की तोड़ निकाल ली है पर इसको निर्णायक रूप से साबित नहीं किया गया है। कोविड-19 के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भारत में उत्पादन कर रही वंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईंओ अदार पूनावाला का कहना है कि 100 से ज्यादा वंपनियां वैक्सीन बना रही हैं। ऐसे में यह बताना मुश्किल है कि पहले कौन-सा देश या कौन-सी वंपनी वैक्सीन लाएगी। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन बन जाती है तो इसे छिपाया नहीं जाएगा। इसमें ईंमानदारी और व्यापारिक समझदारी होगी। विश्व में जितनी वैक्सीन हैं, उनमें से 70 प्रातिशत भारतीय हैं।

भारतीय निर्माता, विश्व मैन्युपैक्चरिग इंडस्ट्री की रेस में हम पहले से ही आगे हैं। महामारी के इस दौर में व्यापार और हेल्थ इंस्टीट्यूट दोनों साथ आए हैं ताकि भारत आत्मनिर्भरता के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ सके। सीरम, चायलैब के साथ दो लाख किट रोजाना बना रही है जिससे भारत की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। पूनावाला कहते हैं कि मुझे विश्वास है कि हम उपलब्ध टैलेंट, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन युक्त डेवलपमेंट से मदद कर पाएंगे जिससे अन्य देशों पर निर्भरता कम कर सवें।

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