चीनी कब्जे के खिलाफ सड़कों पर उतरे नेपाली
-अनिल नरेन्द्र
चीन के इशारे पर भारत विरोधी एजेंडे पर जुटी नेपाल की ओली सरकार को ड्रैगन ने ऐसा झटका दिया है कि वह वुछ बोल नहीं पा रही है। दूसरी तरफ जनता का आव््राोश अब पूट पड़ा है। नेपाल के हुमला में चीनी कब्जे और इमारतों के निर्माण की पुष्टि होने के बाद काठमांडू में लोग सड़कों पर उतर आए और चीन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला। हाथों में तख्तियां लिए लोगों ने बालू वॉटर स्थित चीनी दूतावास के बाहर नारेबाजी की। नेपाली न्यूज वेबसाइट खबरहब के मुताबिक आव््राोशित लोग सीमा अतिक्रमण रोको, अतिक्रमण की हुईं नेपाली जमीन लौटाओ, नेपाल-चीन बॉर्डर का नाका खोलो, चीनी साम्राज्यवाद मुर्दाबाद जैसे नारे लगे रहे थे।
हाल ही में नेपाली मीडिया में खबर आईं कि चीन ने हुमला जिले में नेपाली जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। चीन ने यहां बॉर्डर पिलर को हटाकर 11 इमारतों का निर्माण कर लिया है। इसके तुरन्त बाद हुमला के मुख्य जिला अधिकारी चिरंजी गिरी के नेतृत्व में एक दल सीमा पर एक वास्तविक साइट का अध्ययन करने भेजा गया। साइट पर अध्ययन करने के बाद टीम ने वेंद्र को एक रिपोर्ट भेजी है। दरअसल नेपाल से नजदीकियां बढ़ाकर चीन पिछले दो साल से धीरे-धीरे नेपाली सरजमीं पर अपना आधार मजबूत करता जा रहा है। नेपाल के सीमावता करनाली प्रांत के दूरस्थ हुमला जिले में वाणिाज्यिक भवन बनाने के बाद चीन ने नेपाल के गाोरखा जिले में पांव पसारे हैं। इन दोनों जिलों में करीब एक दर्जन अलग- अलग स्थानों पर चीन अब करीब 20 हैक्टेयर नेपाली जमीन पर काबिज हो चुका है। हुमला जिले में 2018 में चीन सीमा पर महज तीन भवन थे जबकि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आमा (पीएलए) वर्तमान में यहां नौ वाणिज्यिक भवन बना चुकी है। इससे नेपाली नागरिकों में भारी गुस्सा है। उनका कहना है कि पीएम ओली की चुप्पी नहीं टूटी तो चीन एक दिन तिब्बत की तरह नेपाल को भी अपने आधीन कर लेगा। नेपाली नागरिकों के मुताबिक चीन ने नेपाल के दो किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर भवन निर्माण किया है। प्राधानमंत्री ओली अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए चीन का सहारा ले रहे हैं। चीन इसी का लाभ उठाकर नेपाली भूमि पर धीरे-धीरे कब्जा करता जा रहा है। यही तरीका है चीन की विस्तारवादी नीति पर अमल करने का।