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पेट्रोल-डीजल दामों में वृद्धि महंगाईं को और बढ़ाएगी

👤 Veer Arjun | Updated on:13 Jan 2021 10:13 AM GMT

पेट्रोल-डीजल दामों में वृद्धि महंगाईं को और बढ़ाएगी

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-अनिल नरेन्द्र

पिछले कुछ सालों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता नहीं आ रही है। अब तो यह हाल है कि यह डर लगा रहता है कि सुबह-सुबह पता चले कि आज से फिर पेट्रोल-डीजल के दाम फिर बढ़ गए हैं। बीते एक महीने तक जब पेट्रोल-डीजल के दामों में इजाफा नहीं किया गया तो ऐसा लगने लगा कि समूचे देश में महामारी के दौर में बिगड़ी आर्थिक हालत में इससे थोड़ी सुविधा होगी। मगर बुधवार से लगातार दो दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से एक बार फिर लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी को देखते हुए आगे भी इस वृद्धि के जारी रहने के आसार हैं। इसमें कटौती की फिलहाल एक ही सूरत बनती नजर आ रही है कि सरकार पेट्रो उत्पादों पर उत्पाद शुल्क घटाने का ऐलान करे। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस बारे में वित्त मंत्रालय से आग्राह भी किया है। संभव है कि पहली फरवरी, 2021 को पेश होने वाले बजट में ही वुछ घोषणा हो। उधर तेल उत्पादों के देशों की तरफ से फरवरी से कच्चे तेल उत्पादन में कटौती की योजना को देखते हुए तेल के और महंगा होने की संभावना जताईं जा रही है। गुरुवार को सरकारी तेल वंपनियों ने दिल्ली में पेट्रोल को 23 पैसे और डीजल को 26 पैसे प्राति लीटर महंगा किया है। पेट्रोल की खुदरा कीमत रिकॉर्ड 84.20 रुपए प्राति लीटर पर पहुंच गईं है। डीजल 74.38 रुपए प्राति लीटर है। पिछले दो दिनों में पेट्रोल 49 पैसे बढ़कर अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। जबकि डीजल 51 पैसे प्राति लीटर महंगा हो गया है। इसके पहले चार अक्तूबर, 2018 को पेट्रोल 84 रुपए और डीजल 75.45 रुपए के स्तर पर था। लेकिन हाल के दिनों में व््राूड ऑयल (कच्चे तेल) की कीमत में इजाफा देखते हुए नईं वृद्धि की गईं है।

अभी कीमत 54 डॉलर प्राति बैरल से थोड़ी नीचे हैं। लेकिन कईं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि सऊदी अरब व अन्य तेल उत्पादक देशों की तरफ से कच्चे तेल उत्पादन को घटाने से व््राूड ऑयल फरवरी-मार्च, 2021 तक 65 डॉलर प्राति बैरल पहुंच सकता है। दरअसल पेट्रोल और डीजल के दाम में स्थिरता किसी बीते जमाने की बात हो चुकी है। कभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों में तेजी तो कभी उत्पाद शुल्क में इजापे के नाम पर आए दिन इसमें बढ़ोत्तरी होती रहती है। यह किसी से छिपा नहीं कि इसका असर केवल वाहनों में खपत के खर्च में इजापे पर या ईंधन से चलित उदृाोगों या संयंत्रों पर नहीं पड़ता, बल्कि इसका सीधा असर समूचे बाजार पर पड़ता है। डीजल से चलने वाली और खासकर माल ढुलाईं वाली गािड़यों में सामान एक जगह से दूसरी जगह लाने या ले जाने में ज्यादा खर्च होता है तो उसके असर में वस्तुओं की कीमत में भी बढ़ोत्तरी होती है।

पिछले करीब 10 महीनों के दौरान शुरुआती वुछ महीनों में पूर्ण बंदी और फिर धीरे-धीरे इसमें ढील मिलने के बावजूद यह सच है कि बाजार अब भी अपनी सामान्य गति नहीं पकड़ सका है। यह किसी से छिपा नहीं कि बड़ी संख्या में उदृाोग, छोटे धंधे या तो बंद हो गए हैं या फिर उन्होंने अपनी लेबर में भारी कटौती की है। परिणामस्वरूप आज आबादी के एक बड़े हिस्से में बेरोजगारी बढ़ी है, आमदनी या तो खत्म हो गईं है या फिर उसमें भारी कमी आईं है। इसका सीधा असर लोगों के बजट पर पड़ा है। आज एक मध्यमवगाय, मजदूरी करने वाले को दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती। ऐसी सूरत में पेट्रोल-डीजल का अतिरिक्त भार उनकी कमर तोड़ देगा।

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