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खुराफाती तत्वों की खैर नहीं

👤 Veer Arjun | Updated on:18 Jan 2021 7:31 AM GMT

खुराफाती तत्वों की खैर नहीं

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किसान आंदोलन में घुसे वुछ खुराफाती खालिस्तान समर्थक तत्वों की तलाश में केंद्रीय खुफिया तंत्र बहुत पहले से सक्रि‍य है किन्तु 15 जनवरी 2021 को नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी यानि एनआईंए ने पंजाब से संबंध रखने वाले एक दर्जन से ज्यादा लोगों को गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम यानि यूएपीए की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं की सरकार के साथ 15 जनवरी को सम्पन्न हुईं बैठक में इस मुद्दे को उठाया भी कि सरकार उनके खिलाफ एनआईंए से मामला दर्ज करवाकर डरवाना चाहती है। असल में एनआईंए ने 15 दिसम्बर 2020 को भारतीय दंड संहिता (आईंपीसी) की धारा 120(बी), 124(ए), 153(ए) और 153(बी) तथा यूएपीए की धारा 13, 17, 18, 18(बी) और 20 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह सभी धाराएं खुराफाती तत्वों के खिलाफ कार्रवाईं से संबंधित हैं। नोटिस एनआईंए ने जारी किया है क्योंकि इंटेलीजेंस ब्यूरो ने उसे ठोस सबूत के साथ सरकार को वुछ असंदिग्ध तत्वों की गैर-कानूनी गतिविधियों की जानकारी सौंपी थी।


यह सच है कि जिन लोगों को एनआईंए ने 17 जनवरी को उनके मुख्यालय में उपस्थित होने के लिए नोटिस थमाया था वह सभी गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे किन्तु यह भी सही है कि किसान आंदोलन को अवसर में बदलने के लिए वुछ विघटनकारी प्रावृत्ति के लोगों ने प्रायास किया था। किसान नेता अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं इसलिए उन्हें सभी लोगों में किसान समर्थक ही नजर आते हैं। राष्ट्रविरोधी तत्वों की पहचान और उनसे जुड़े आपराधिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करना पेशेवर खुफिया तंत्र का काम है और जांच करके सजा दिलाने का दायित्व एनआईंए का। अच्छी बात यह रही कि जब कभी भी खुफिया तंत्र ने किसान आंदोलन से जुड़े बड़े नेताओं को उनका कर्तव्यबोध कराया तो उन नेताओं ने बिना संकोच के इस बात को माना कि उनके बीच में बैठे खुराफाती तत्वों पर कार्रवाईं होनी ही चाहिए। किसान नेताओं ने एक स्वर से कहा था कि यदि ऐसे तत्वों को पकड़ कर कार्रवाईं की जाती है तो अच्छी बात है।

बहरहाल एनआईंए को इस बात की सावधानी रखनी होगी कि कोईं निदरेष व्यक्ति उसकी कार्रवाईं की वजह से परेशान न हो किन्तु किसान आंदोलन को बदनाम करने वाले खुराफाती तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाईं से किसी किसान को एतराज भी नहीं होना चाहिए। किसानों के बीच छद्म वेश में छिपे खालिस्तानी और उपद्रवी तत्वों के बारे में इंटेलीजेंस ब्यूरो द्वारा दी गईं रिपोर्ट 18 जनवरी को भारत सरकार के अटॉना जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। यही कारण है कि एनआईंए ने किसानों और सरकार के बीच जारी वार्ता के दौरान भी कार्रवाईं का फैसला किया है।

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