टूलकिट का स्रोत
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों के संबंध में कुछ मशहूर हस्तियों की ओर से की गईं टिप्पणियों पर विदेश मंत्रालय द्वारा प्रातिक्रिया व्यक्त करने का एक कारण था। उन्होंने कहा कि टूलकिट केस ने काफी कुछ उजागर किया है और दिल्ली पुलिस इसकी जांच कर रही है।
यह सच है कि किसानों में चेतना आईं है इसलिए वे राष्ट्रीय चरित्र के अनुरूप अपना आंदोलन चलाने के लिए स्वतंत्र हैं किन्तु टूलकिट के खुलासे में तो उपद्रव के वैलेंडर बने हुए हैं। उपद्रवियों को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें भारत सरकार के खिलाफ किस तरह कार्यंक्रम करने हैं। यही नहीं, यहां तक कहा गया है कि यदि ये तीनों कानून वापस हो भी जाएं तो भी आंदोलन वापस नहीं लेना है। इसका सीधा-साधा मतलब यही है कि भारत सरकार को बदनाम और अस्थिर करने के लिए निाित कार्यंक्रम का पालन करते रहना है। चूंकि टूलकिट का रत्रोत विदेश में है इसलिए विदेश मंत्रालय का सक्रिय होना स्वाभाविक है।
भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां टूलकिट में निहित कार्यंक्रम का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष की तरफ इशारे कर रही हैं कि सरकार को अस्थिर करने का उद्देश्य किसान नेताओं को बिल्वुल नहीं है किन्तु टूलकिट जारी करने वाले षड्यंत्रकारी सिर्प खालिस्तान के लिए यह सब वुछ नहीं कर रहे हैं। भारत को तबाह करने की रूपरेखा तैयार करने में सबसे ज्यादा रुचि चीन और पाकिस्तान की है। चूंकि पाक आमा की खुफिया एजेंसी आईंएसआईं को खालिस्तानी मुहिम का अनुभव है और खालिस्तान के समर्थक खुराफाती उनके सम्पर्व में भी हैं। यही कारण है कि चीन आईंएसआईं की मदद से भारत में अस्थिरता पैलाने के लिए पिछले वुछ दिनों से सक्रिय है। भारतीय खुफिया तंत्र इस हकीकत का पता लगाने के लिए जुटा है कि भारत को बदनाम और अस्थिर करने वाले सूत्रधार और क्या-क्या करना चाहते हैं।
खुफिया तंत्र विदेश मंत्रालय और कनाडा, अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और पाकिस्तान में स्थित राजदूतावासों की मदद के बिना अपने प्रायास में सफल नहीं हो पाएंगे इसलिए विदेश मंत्रालय का सव््िराय होना जरूरी था। ऐसा नहीं है कि टूलकिट की जानकारी देश में वुछ लोगों को नहीं है। इसीलिए गृह मंत्रालय और खुफिया तंत्र ऐसे विघ्न संतोषी तत्वों की वुंडली तैयार करने में लगा है जो किसानों की पीठ के पीछे अपना उल्लू सीधा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।