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एक बार फिर परिवर्तन यात्रा का दांव चला भाजपा ने

👤 Veer Arjun | Updated on:10 Feb 2021 8:03 AM GMT

एक बार फिर परिवर्तन यात्रा का दांव चला भाजपा ने

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-अनिल नरेन्द्र

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से शनिवार को भाजपा की परिवर्तन यात्रा की शुरुआत पाटा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की। इस परिवर्तन यात्रा में नड्डा ने ममता बनजा सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि ममता ने राज्य को प्राधानमंत्री किसान योजना से दूर रखा। विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल की जनता ममता बनजा और टीएमसी को अलविदा कह देगीं।

वहीं मालदा की सभा में नड्डा ने पूछा कि बंगाल में जय श्रीराम के नारों पर ममता को गुस्सा क्यों आता है? इस दौरान भाजपा अध्यक्ष ने किसानों के साथ खिचड़ी और सब्जी भी खाईं। अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने व जनता तक पहुंचने के लिए भाजपा का यात्राओं का पुराना फॉर्मूला है, जो उसे सियासी लाभ देता रहा है, लेकिन ऐसी यात्राओं को लेकर विवाद भी खड़े होते हैं और राजनीतिक टकराव भी हुए हैं। पािम बंगाल में भी वही स्थिति बनी हुईं है। भाजपा ने सबसे पहले 1990 में रामरथ यात्रा से राजनीतिक उड़ान शुरू की थी। तब के अध्यक्ष लाल वृष्ण आडवाणी की उस पहली रथ यात्रा में मौजूदा प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अहम भूमिका में थे। इसके बाद आडवाणी व अन्य नेताओं ने विभिन्न नामों से आधा दर्जन से ज्यादा यात्राएं निकालीं और भाजपा के जनाधार व पहुंच को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया। हालांकि यह यात्राएं राजनीतिक विवाद व टकराव का भी सबब रहीं।

आडवाणी की पहली सोमनाथ रामरथ यात्रा को बीच में ही रोक लिया गया था और बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रासाद यादव की सरकार ने आडवाणी को गिरफ्तार किया था। इस रथ यात्रा को तत्कालीन प्राधानमंत्री वीपी सिह के मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का राजनीतिक जवाब माना गया था। इसके बाद 1991-92 में तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा भी जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने को लेकर चर्चित रही थी। रथ यात्राओं के जरिये भाजपा ने अपने मुद्दों को देशभर में पहुंचाया और उसे इसका सीधा लाभ भी मिला। चुनावी सफलताएं कम-ज्यादा रही हों, पर 1990 के बाद भाजपा का जनाधार बढ़ता ही रहा है और अब उसकी पहुंच देश के सभी राज्यों तक हो गईं है। अब जबकि पािम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल व पुडुचेरी की पांच विधानसभाओं के चुनाव होने हैं, भाजपा एक बार फिर जनाधार बढ़ाने के लिए इसी तरह की रथ यात्राओं को कर रही है। नवम्बर में तमिलनाडु में बेनीवाल रथ यात्रा का आयोजन किया था, जिसे लेकर उसके व सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के बीच टकराव हुआ था। अब पािम बंगाल में भी यही स्थिति बनी हुईं है। भाजपा ने पािम बंगाल के चुनाव को मथने के लिए परिवर्तन यात्रा का फिर सहारा लिया है। वह राज्य में पांच स्थानों से यात्राएं निकालेगी, जो राज्य के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। पहली यात्रा पाटा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुरू कर दी है।

रथ यात्रा की दूसरी कड़ी को अमित शाह 11 फरवरी को वूच बिहार से हरी झंडी दिखाने वाले हैं। देखें कि ममता के कड़े विरोध के कारण भाजपा की रथ यात्रा कितनी सफल रहती है?

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