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यह किसानों की पूंजीपतियों से आजादी की लड़ाईं है

👤 Veer Arjun | Updated on:11 Feb 2021 10:50 AM GMT

यह किसानों की पूंजीपतियों से आजादी की लड़ाईं है

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-अनिल नरेन्द्र

से आजादी की लड़ाईं है केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बहादुरगढ़, दिल्ली बार्डर पर स्थित टिकरी में धरने में बैठे एक और किसान ने रविवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बताया कि किसान ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें केन्द्र सरकार के खराब रवैये से परेशान होने की बात लिखी गईं है। उन्होंने बताया कि मृतक की पहचान हरियाणा के जींद जिले के सिंगवाल के निवासी 52 वर्षीय कर्मवीर सिंगवाल के रूप में की गईं है। उन्होंने बताया कि बीती रात ही वह अपने गांव से टिकरी बार्डर पहुंचा था। पुलिस ने बताया कि कर्मवीर ने रविवार को बहादुरगढ़ के बाईंपास स्थित नए बस स्टैंड के पास एक पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी का पंदा लगाकर जान दे दी। बीकेयू नेता राकेश टिवैत रविवार को भिवानी के कितलाना में संयुक्त मोर्चा की ओर से आयोजित किसान रैली में पहुंचे। इस मौके पर टिवैत ने कहा कि वृषि कानूनों को रद्द न होने पर अनाज को रुपए की तरह से संभाल कर तिजोरी में रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जब तक तीनांे वृषि कानून वापस नहीं हो जाते तब तक हमारी घर वापसी नहीं होगी। यह किसानों की पूंजीपूतियों से आजादी की लड़ाईं है। टिवैत ने कहा कि वुछ नेताओं ने किसानों को सिख और गैर-सिख में बांटने की कोशिश की।

लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए। अब हरियाणा और पंजाब के लोग संगठित हो गए है। खास सिस्टम मजबूत है और आज इसकी जरूरत भी है। टिवैत ने कहा कि तीनों कानून वापस लिए जाएं और एमएसपी पर कानून बनाया जाए और गिरफ्तार किसानों को रिहा किया जाए। जब तक सरकार इन तीनों कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा यह जन आंदोलन है। यह पेल (नाकाम)। नहीं होगा। टिवैत ने दावा किया कि नए वृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन मजबूत होता जा रहा है। कईं खाप नेता महापंचायत में मौजूद थे। दादरी से निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रमुख सोमवीर सांगवान भी कार्यंव्रम में मौजूद थे। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उन्होंने राज्य सरकार को किसान विरोधी करार दिया था। किसान संगठनों के बीच एकजुटता दिखाते हुए टिवैत ने कहा, मंच और पंच नहीं बदलेंगे। टिवैत ने एक बार फिर से पंजाब बीकेयू नेता बलबीर सिंह राजेवाल की सराहना की। उन्हांेने कहा कि राजेवाल हमारे बड़े नेता हैं। हम यह लड़ाईं मजबूती से लड़ेंगे। किसान संगठनों के इरादे पक्के लगते हैं।

वह आरपार की लड़ाईं लड़ने के मूड़ में हैं। हम फिर दोहराते हैं कि सरकार को इन तीनों कानूनों को स्थगित कर देना चाहिए और इन किसानों की मांगों को (जो उन्हें सही लगती हैं) नए कानून में शामिल करके पारित करें। किसान मानने वाले नहीं हैं। यह बहुत लंबी लड़ाईं लड़ने के मूड़ में हैं। सरकार को अविलंब कोईं हल निकालना होगा। यह सरकार के हित में भी है, देश हित में भी और किसानों के हित में भी है।

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