आंदोलन की अवधि व स्थान
सच तो यह है कि यह पैसला ऐसे वक्त आया है जब दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और पािमी उत्तर प्रादेश के किसान नेता तीन वृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। उससे बड़ी बात तो यह है कि अब दिल्ली पुलिस किसान आंदोलन के नेताओं द्वारा दी जाने वाली किसी गारंटी पर विश्वास करने वाली नहीं है। दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ वादाखिलाफी के सन्दर्भ में प्राथमिकी दर्ज कर रखी है। धरना स्थल को घेरकर वंटीले तार लगाने के पीछे भी दिल्ली पुलिस यही तर्व देती है कि उसे इन प्रादर्शनकारियों पर भरोसा नहीं है क्योंकि आंदोलन पर नेताओं का नियंत्रण नहीं है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों की जो दुर्गति प्रादर्शनकारी ट्रैक्टर किसानों ने की है उससे दिल्ली पुलिस में आज भी आव््राोश है। इसलिए प्रादर्शन से जुड़े किसान नेताओं को नए कार्यंव््रामों के लिए शायद ही अनुमति मिले।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट का यह पैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह देश में होने वाले भविष्य के आंदोलनों की दिशा को भी प्राभावित करेगा क्योंकि अब समय और स्थान पर टिप्पणी की गईं है।