बचपन को गुम न होने दें खेल
बचपन हमेशा शरारती और खेलता हुआ अच्छा लगता है क्योंकि बड़े होने के बाद यही शरारतें याद आती हैं और शरीर के विकास के लिए ये शरारतें सहायक साबित होती हैं। लेकिन आजकल बचपन की ये शरारतें और खिलंदड़ापन कहीं खोता जा रहा है जिसकी एक बड़ी वजह छोटी उम्र में ही हाथों में मोबाइल, वीडियो गेम और लैपटॉप हैं जो बच्चों को एक जगह बांध कर रख देते हैं। उन्हें हिलने नहीं देते, शारीरिक क्रिया नहीं करने देते और गली में खेलने से रोक देते हैं। मां बाप भी इन बातों पर ध्यान नहीं देते और छोड़ देते हैं कि चलो बच्चा लैपटॉप में व्यस्त है लेकिन यही लापरवाही बच्चे के शारीरिक विकास में बाधा बन जाती है। इस गंभीर समस्या की तरफ इशारा किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। श्री मोदी ने अहमदाबाद में गुजरात सरकार के वरषिक आयोजन खेल महावुंभ 2017 की शुरुआत के मौके पर कहा कि 21 वीं सदी में देश के बालकों का बचपन भी वीडियो गेम और लैपटॉप में गुम हो रहा है। ऐसे में शारीरिक कौशल और व्यक्तित्व विकास के लिए खेल के मैदान में बालक खेलें, यह जरूरी है।
श्री मोदी ने कहा कि खेलवूद ही जीवन को जीना सिखाता है। विजय को पचाना हर कोईं जानता होगा, लेकिन हार को पचाने का सामर्थ्यं खिलाड़ियों में ही होता है और इस सामर्थ्यं को अपनाने वाला जीवन में कभी हताश नहीं होता। खेलवूद एक राष्ट्रसेवा है। इतना ही नहीं, ऊंचाइयां हासिल करने का माध्यम भी है इसलिए खिलाडियों के प्रति आदर-सम्मान किसी परिवार या समाज की नहीं बल्कि देश की परंपरा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खेलवूद का सामर्थ्यं जीवन जीने की प्रेरणा देता है और इसलिए ही समग्र भारत में खेले इंडिया अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इससे देश के युवाओं को खेलवूद में प्रोत्साहन मिलेगा और आने वाले दिनों में अंतर्राष्ट्रीय खेलों में देश के युवाओं के खेलवूद का सामर्थ्यं उभरकर सामने आएगा। (संकलित)