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भाजपा के गढ़ में आप की सेंध

👤 Veer Arjun | Updated on:30 Dec 2021 5:34 AM GMT

भाजपा के गढ़ में आप की सेंध

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—अनिल नरेन्द्र

शहरी और हिंदू मतदाताओं के भरोसे पंजाब की राजनीति में जगह तलाशने की कोशिश कर रही भाजपा के लिए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के नतीजे किसी बड़े झटके से कम नहीं है। भाजपा को चंडीगढ़ नगर निगम में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी ने कड़ी टक्कर देते हुए न सिर्प उसे इस केन्द्र शासित क्षेत्र की सत्ता से बाहर कर दिया बल्कि पंजाब की उसकी मिली राजनीति के सपनों पर भी कड़ा प्रहार किया है। पंजाब में भाजपा के पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के तीन वृषि कानून के मसले पर भाजपा से अपना नाता तोड़ने और किसान आंदोलन के चलते राज्य की राजनीति में हाशिए पर चली गईं पार्टी ने अपनी राजनीति वुशलता से भले ही कांग्रेस के बागी पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री वैप्टन अमरिन्दर सिंह कि पंजाब लोक कांग्रेस और शिअद के बागी सुखदेव सिंह ढींढसा की शिअद (संयुक्त) के साथ गठबंधन करके अपना राजनीतिक इरादा तो जाहिर कर दिया लेकिन चंडीगढ़ के मतदाताओं ने जिस तरह का पैसला दिया है वह भाजपा के लिए एक बड़े सबक से कम नहीं माना जा रहा है। पिछली बार पूर्ण बहुमत से शहर में सरकार बनाने वाली भाजपा 12 सीटों पर सिमट गईं। वर्ष 2016 में 26 सीटों पर निगम चुनाव हुए थे जिसमें 20 भाजपा को मिली थीं। पहली बार निगम चुनाव लड़ी आप 35 सीटों में से 14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। इस बार निगम में नौ सीटें बढ़ गईं हैं।

पिछली बार 4 सीटें जीती कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गईं जबकि शिअद को सिर्प एक सीट मिली है। इसके साथ ही 29.79 फीसदी वोट पाकर वोट शेयर के मामले में कांग्रेस पहले स्थान पर है। भाजपा को 29.30 प्रतिशत और आप को 27.08 प्रतिशत वोट मिले हैं। निगम चुनाव में आप की लहर में भाजपा अपने मजबूत गढ़ कहे जाने वाले वार्ड भी नहीं बचा सकी। आप ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद का वार्ड भी जीत लिया। दूसरी बार चुनाव लड़ रहे मेयर रविकांत शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुनीता धवन खुद भी हार गईं । लगातार तीसरी बार जीत रहे भाजपा के पूर्व मेयर देवेश मोदगिल अपना वार्ड भी नहीं बचा सके भाजपा के एक और पूर्व मेयर राकेश कालिया न केवल चुनाव हारे बल्कि तीसरे नंबर आ गिरे। भाजपा की एंटी-इनवैंवेंसी के साथ ही आंतरिक असंतोष से नुकसान उठाना पड़ा है। भाजपा चंडीगढ़ में लगे झटके पर पार्टी आला नेता मौन हैं पर माना जा रहा है कि चंडीगढ़ में महंगाईं के मुद्दे पर भाजपा को मार पड़ी। इसी के चलते पहले हिमाचल उपचुनाव में भाजपा को एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर भी मार झेलनी पड़ी थी। चंडीगढ़ नगर निगम में वुल 35 सीटें है। इसमें कांग्रेस तीसरे पायदान पर खिसकी है तो जाहिर है कि पार्टी को अब मौजूदा सीएम या सिद्धू को कोसने की जगह भविष्य पर नजर गढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि इस नतीजे के साथ उसे भाजपा के भावी चुनावी राजनीतिकों से भी जुझना होगा।

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