मुर्दा समझकर ले गए, चिता पर खोली आंखें
—अनिल नरेन्द्र
कैंसर से जूझ रहे टिकरी खुर्द गांव के एक बुजुर्ग को पांच दिन पहले द्वारका के एक निजी अस्पताल में भता कराया गया था। जहां उनका इलाज चल रहा था। परिजनों के मुताबिक रविवार की सुबह नौ बजे बुजुर्ग को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। फिर अस्पताल की पूरी प्रक्रिया के बाद परिजन बुजुर्ग की डेडबॉडी लेकर टिकरी खुर्द घर पर लेकर आए। जहां अंतिम संस्कार से पूर्व होने वाली प्रक्रिया पूरी कर परिजन टिकरी खुर्द के शमशान घाट लेकर गए। परिजनों का दावा है कि अंतिम संस्कार के लिए बनी चिता पर रखते ही उनकी सांसें लौट आईं। बुजुर्ग सतीश भारद्वाज (62) नरेला के टिकरी खुर्द गांव में परिवार के साथ रहते थे। उनके चचेरे भाईं जीतू ने बताया कि सतीश हरियाणा सरकार के गवर्नमेंट स्वूल में टीचर थे। रिटायर्ड होने के बाद घर पर ही रहते थे। वैंसर की पुष्टि होने के बाद उनका इलाज चल रहा था। पांच दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उन्हें द्वारका के एक निजी अस्पताल में भता कराया गया था। जहां पांच दिन बाद रविवार की सुबह डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजन एम्बुलेंस से डेडबॉडी लेकर घर आ गए। फिर अंतिम संस्कार से पूर्व की प्राव््िराया घर पर पूरी करने के बाद परिजन शमशान घाट में अंतिम संस्कार करने गए, जहां चिता पर रखते ही उनकी सांसें आने लगीं। जीतू ने बताया कि जब उनकी नब्ज और हार्ट बीट देखी गईं तो हलचल होने पर तुरन्त इसकी जानकारी पुलिस वंट्रोल को दी गईं। पुलिस की मदद से उन्हें एलएनजेपी अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उन्हें भता कर लिया गया। पूरी घटना चर्चा का विषय बनी हुईं है। यह दुखद है कि डॉक्टर बुजुर्ग सतीश भारद्वाज को बचा नहीं सके और वह गुजर गए।