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चीन की वुटिलता से सजग रहें

👤 Veer Arjun | Updated on:3 Jan 2022 5:42 AM GMT

चीन की वुटिलता से सजग रहें

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नए वर्ष में भारत के सामने खुराफाती पड़ोसी नईं चुनौतियां पेश करने वाले हैं। नए वर्ष के अवसर पर जहां चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 10 जगहों पर मिष्ठान का आदान-प्रादान किया वहीं चीन ने अपना नया सीमा कानून भी एक जनवरी से लागू कर दिया।

2013 में चीन के राष्ट्रपति बने थे शी जिनपिग, तभी से भारत सहित अपने विरोधी देशों के खिलाफ तानाबाना तैयार करने में लगे हैं। पहले भी भारतीय सेना और चीनी सेना एलएसी पर गुत्थमगुत्था करती थी किन्तु एक रणनीति के तहत शी ने भारत को जिस तरह घेरने का अभियान चलाया है, वह चौंकाने वाला भी है और चुनौती के रूप में स्वीकार करने वाला भी है। कभी डोकलाम, कभी गलवान, कभी सीमावता क्षेत्रों में गांव बसाना जैसी खुराफातें तो चीनी सेना करती ही रही है। किन्तु इन सभी घटनाओं का सीधा संबंध राष्ट्रपति शी की विघटनकारी नीति से है। शी ऐसी खुराफाती प्रावृत्ति का व्यक्ति है कि वह जिसे अपना मित्र राष्ट्र मानता है, उसके साथ भी विश्वासघात करने में संकोच नहीं करता। वह नेपाल और पाकिस्तान के साथ भी विश्वासघात करने में संकोच न करना चीन की नईं विदेश नीति का हिस्सा मानता है।

बहरहाल गत 23 अक्तूबर को चीन की शीर्ष विधायी निकाय नेशनल पीपुल्स कांग्रोस की स्थायी समिति ने अपने सीमावता क्षेत्रों के संरक्षण और शोषण का हवाला देते हुए एक नया कानून पारित किया। समिति ने इस नए कानून को नए वर्ष के पहले दिन से लागू करने की बात कही थी। इसलिए एक जनवरी 2022 से यह नया सीमा कानून लागू हो गया। चीन का यह नया कानून उसके सभी 14 पड़ोसी देशों के साथ लगने वाली 22,457 किमी की भूमि पर लागू होगा।

चीन इन दिनों भारत के साथ बहुत ही असहज महसूस कर रहा है किन्तु वह इस बात का एहसास नहीं होने देना चाहता कि वह भारत से परेशान है। वर्ष 2020 में भारतीय सेना ने चीन को टिट फार टैट यानि जैसे को तैसा का ऐसा पाठ पढ़ाया कि उसकी सारी गलतफहमी दूर हो गईं। एक तरफ जहां गलवान में खूनी झड़प हुईं, वहीं पेंगाग झील के पास भारतीय सेना ने ऊंचाईं पर पोजीशन लेकर चीन को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब उसकी पहले जैसी दादागिरी चलने वाली नहीं है।

भारत चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है। चीन से किसी भी तरह वूटनीतिक संबंध निभाने के लिए उसी स्तर की वुटिलता अपनानी जरूरी है। भारतीय नेतृत्व एवं सैन्य प्रातिष्ठान ने चीन की नाराजगी की परवाह करना जबसे छोड़ा है, तभी से अपनी रक्षा तैयारियों को बढ़ाकर यह संदेश भी चीन को दे दिया है कि उसके लिए भारत से पंगा लेना संभव नहीं है। भारत और चीन कईं माध्यमों से एक-दूसरे से संपर्व में रहते हैं किन्तु भारत चीन से सजग रहता है और इस बात को अच्छी तरह समझता है कि चीन भारत को पाक सीमा पर उलझाए रखने के लिए पाक सेना को उकसाता रहता है। भारत एलएसी और एलओसी दोनों की सुरक्षा में सीमावता सुरक्षा के तमाम उपाय तो अपना ही रहा है साथ ही विश्व स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश भी की है। जहां हिन्द प्राशांत क्षेत्र में चीन को जवाब देने के लिए भारत ने क्वाड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं वहीं रूस को नाराज न करने की रणनीति अपनाते हुए अमेरिका एवं यूरोपीय देशों के साथ मजबूत रक्षा संबंध स्थापित किए।

बहरहाल भारत चीन की वुटिलता के प्राति सजग है और उसकी हर खुराफात का जवाब देने के लिए तैयार है, किन्तु शत्रु तो शत्रु ही होता है और देश में तमाम चीन के मित्र तत्व मौजूद हैं जिनसे निपटना भी भारत सरकार का ही दायित्व है।

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