पुलिस सुधार जरूरी
पांच जनवरी को प्राधानमंत्री की सुरक्षा के साथ समझौता करने का जो दुस्साहस वहां के पुलिस महानिदेशक सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने किया है उसके लिए उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि आपने रोड खाली होने के बारे में एसपीजी को गलत सूचना दी। सही ढंग से सुरक्षा प्राबंधों का ध्यान नहीं रखा गया, इसलिए आपके खिलाफ कार्रवाईं बनती है। एक बात तो साफ हो गईं है कि तीन जनवरी को एसपीजी के निदेशक द्वारा पंजाब के डीजीपी को लिखे पत्र में इस बात की आशंका जताईं गईं थी कि पीएम के मार्ग में आंदोलनकारी किसान, खालिस्तानी और पाक समर्थित इस्लामिक आतंकी रोड पर या दूसरे तरीके से हमला कर सकते हैं। यही नहीं पांच जनवरी को भी एसपीजी ने डीजीपी से बात की और जब उन्होंने इस बात की पुष्टि कर दी कि रास्ता बिल्वुल साफ है, तभी एसपीजी ने पीएम की यात्रा को अनुमति दी।
अब जबकि पीएम सुरक्षा पर वेंद्र, राज्य और सुप्रीम कोर्ट जांच कर रहे हैं तो तथ्यों का स्पष्टीकरण हो ही जाएगा किन्तु डीजीपी ने जिस तरह एसपीजी को धोखा दिया, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देशों के बावजूद राज्य सरकारें पुलिस सुधार करने को तैयार नहीं हैं तथा सुप्रीम कोर्ट के तमाम निर्देशों के बावजूद कार्यंवाहक डीजीपी नियुक्त करती हैं। राज्य सरकारें ही नहीं, वेंद्र शासित प्रादेशों में भी कार्यंवाहक डीजीपी की नियुक्तियां की जाती हैं।
पंजाब के डीजीपी की नियुक्ति का तमाशा देखने योग्य है। कैप्टन अमरिन्दर सिह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पहले दिनकर गुप्ता को हटाया गया, फिर मुख्यमंत्री चरनजीत सिह चन्नी ने इकबाल सिह सहोता को डीजीपी बनाया किन्तु प्रादेश कांग्रोस अध्यक्ष नवजोत सिह सिद्धू के विरोध के कारण उन्हें हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को बना दिया गया। अब चट्टोपाध्याय को इसलिए हटना पड़ा क्योंकि संघ लोकसेवा आयोग ने तीन वरिष्ठतम आईंपीएस अधिकारियों की सूची में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम रखा ही नहीं। तीन वरिष्ठतम आईंपीएस अधिकारियों की सूची पंजाब सरकार को पीएम की यात्रा से पहले ही सौंपी गईं थी।
यदि मुख्यमंत्री चाहते तो सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को हटाकर उन तीनों नामों में से किसी एक को डीजीपी बना सकते थे। इसीलिए पंजाब सरकार पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को हथियार बनाकर पीएम की सुरक्षा को खतरे में डाला।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिह की याचिका पर पैसला सुनाते हुए स्पष्ट तौर पर कहा था कि पुलिस सरकारों की नौकर नहीं है, उसे स्वतंत्रतापूर्वक कार्यं करने की छूट मिलनी चाहिए। यदि पुलिस सुधार सरकारें लागू कर दें तो वह उसका दुरुपयोग नहीं कर पाएंगी फिर संभव है कि ऐसा मजाक पीएम की सिक्योरिटी के साथ भी नहीं होगा।