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स्वतंत्र समिति करेगी पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच

👤 Veer Arjun | Updated on:13 Jan 2022 5:10 AM GMT

स्वतंत्र समिति करेगी पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच

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—अनिल नरेन्द्र

पंजाब में प्राधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले में देश के सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका महत्वपूर्ण हो गईं है। न्यायालय ने पूर्व जज की अध्यक्षता में समिति बनाईं है। निष्पक्ष जांच के लिए शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त जज इन्दू मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय स्वतंत्र समिति गठित की है।

इसमें चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के आईंजी, पंजाब व हरियाणा हाईं कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और पंजाब के अपर पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को शामिल किया गया है। प्राधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यंकांत व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने इसका उल्लेख किया। पीठ ने सोमवार को वेंद्र और पंजाब दोनों को निर्देश दिए कि वह अपने-अपने पैनल द्वारा की जा रही जांच पर रोक लगाएं। पीठ ने वेंद्र सरकार की कार्रवाईं पर सवाल उठाए हैं। सुनवाईं के दौरान जजों ने वेंद्र सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा था कि अगर वेंद्र कारण बताओ नोटिस से पहले ही सब वुछ निष्कर्ष निकाल रहा है तो अदालत में आने का क्या मतलब है? पीठ ने कहा कि जब आपने नोटिस जारी किया तो यह हमारे आदेश से पहले था। उसके बाद हमने अपना आदेश पारित किया। आप उनसे 24 घंटे में जवाब देने के लिए कह रहे हैं। यह आपसे अपेक्षित नहीं है। आप तो पूरा मन बनाकर आए हैं।

आपकी दलीलें बताती हैं कि आप सब वुछ पहले ही तय कर चुके हैं, तो फिर यहां इस अदालत में क्यों आए हैं? आपका नोटिस अपने आपमें विरोधाभासी है। जब तुषार मेहता ने कहा कि अदालत वेंद्र की रिपोर्ट की समीक्षा कर सकती है तो इस पर प्राधान न्यायाधीश ने कहा—फिर तो पंजाब की जांच समिति को काम करने देते हैं। मेहता—पंजाब की समिति में दिक्कतें हैं। प्राधान न्यायाधीश—पीठ ने प्राधानमंत्री की सुरक्षा से जुड़े इस मामले को गंभीरता से लिया है। सवाल बस इतना है कि जांच किस तरह की हो? क्या किसी को सजा देने के लिए हो? अगर ऐसा है तो इसमें अदालत का क्या काम है? मान लीजिए कि आपकी जांच में किसी को जिम्मेदार मान लिया गया तो इसमें हम क्या करेंगे। प्राधानमंत्री की सुरक्षा का मामला है। ऐसा नहीं है कि हम इसे हल्के में ले रहे हैं। पंजाब सरकार का कहना था कि वेंद्र सरकार की ओर से उसे निष्पक्ष सुनवाईं का मौका नहीं मिला है। अगर अफसर दोषी निकलता है तो उन्हें टांग दिया जाए। पंजाब सरकार के वकील डीएस पटवारिया ने मामले की सुनवाईं के दौरान कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहता है तो इस मामले के लिए अलग से जांच कमेटी का गठन कर दिया जाए। हम उस कमेटी का पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन हमारी सरकार और हमारे अधिकारियों पर अभी आरोप न लगाए जाएं। वुल मिलाकर जल्दी जांच हो ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो और सुरक्षा एजेंसियों को भी आगे के लिए सबक मिले। यह संभव है कि जांच के नतीजे सार्वजनिक न हों, लेकिन देश कम से कम ऐसी चूवें भविष्य में कभी न देखे, यह सुनिाित करना चाहिए। अब सरकारें या राजनेताओं को इस गंभीर मामले में टिप्पणी और अपनी राय देने से बाज आना चाहिए। जो भी जिम्मेदार हैं, उस पर जल्द से जल्द आंच आए तो बात बने।

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