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जिसकी एंट्री से फैल जाता था सन्नाटा वही कैदियों की तरह आए

👤 Veer Arjun | Updated on:16 Jan 2022 4:56 AM GMT

जिसकी एंट्री से फैल जाता था सन्नाटा वही कैदियों की तरह आए

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—अनिल नरेन्द्र

एंटी करप्शन ब्यूरो और ईंओडब्ल्यू के ऑफिस में बुधवार की शाम 4:25 बजे निलंबित एडीजे जीपी सिह कैदियों की तरह लाए गए। दो साल पहले तक जेपी इसी दफ्तर के सव्रेसर्वा रहे, को दिल्ली से कार में बिठाकर एसीबी की टीम सीधे दफ्तर लेकर पहुंची। एडिशनल एसपी महेश्वर नाग के चैंबर में करीब पौने दो घंटे पूछताछ के बाद उन्हें सवा छह बजे एसीबी की विशेष कोर्ट में पेश किया गया। एसीबी ने सात दिन की रिमांड मांगी थी। कोर्ट ने दो दिन की रिमांड मंजूर की। निलंबित एडीजे जीपी के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पत्ति का केस दर्ज है।

एसीबी की टीम ने मंगलवार की शाम उन्हें गुड़गांव से गिरफ्तार किया। स्पेशल जज लीना अग्रावाल के समक्ष पेश किया गया। एसीबी ने विवेचना का हवाला देते हुए कहा कि पूछताछ करनी है। बता दें कि कोतवाली थाने में जुलाईं के महीने में राजद्रोह का केस दर्ज होने के बाद ही जेपी को निलंबित किया गया। उसके वुछ दिन बाद जेपी ने हाईं कोर्ट में एफआईंआर रद्द करने की याचिका दायर की थी। इसके जवाब में एसीबी की ओर से जेपी को पूरे सर्विसकाल में मिली सैलेरी का हिसाब पेश किया। उसके परीक्षण के बाद अदालत ने ही लिखा था कि जेपी को 25 साल की नौकरी में एक करोड़ 75 लाख रुपए की सैलेरी मिली, लेकिन उनका खर्च 3.55 करोड़ दिखाया गया है। इसके साथ अन्य खर्चो को मिलाकर 6.41 करोड़ रुपए के लेनदेन के दस्तवेज एंटी करप्शन ब्यूरो ने अदालत में पेश किए। कोर्ट में पेश करने के दौरान निलंबित एडीजी जेपी सिह ने मीडिया से कहा कि मुझे झूठे केस में पंसाया गया है। एसीबी ने जो प्राॉपटा के दस्तावेज जब्त किए हैं, वह मेरे परिजनों के नाम पर हैं। इतने सीनियर अफसर का भ्रष्टाचार के केस में आरोपी होना शर्म की बात है। मामला अदालत में है। पता चल जाएगा कि एसीबी के आरोपों में कितना दम है।

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