सिद्धू को सजा
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नवजोत सिह सिद्धू को एक पुराने मामले में दोषी मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक वर्ष की सजा दी है। मामला 27 दिसम्बर 1988 का है जब सिद्धू के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 323 यानि जानबूझ कर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज था।
दरअसल सिद्धू ने एक 65 वषाय बुजुर्ग को पटियाला में जानबूझ कर चोट पहुंचाईं थी जिसकी बाद में मौत हो गईं। इस मामले में पहले तो सिद्धू के खिलाफ हत्या का मुकदमा चला किन्तु बाद में निचली अदालत ने ही उनके खिलाफ हत्या का मामला नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को सिर्प 1000 रुपए का अर्थ दंड लगाकर छोड़ दिया था किन्तु मृतक परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर सिद्धू के खिलाफ दंड बढ़ाने की मांग की। कोर्ट ने माना कि सिद्धू को एक वर्ष का सश्रम कारावास भी दिया जाना चाहिए।
असल में व्यक्ति जब आक्रोश में कोईं हरकत करता है तो वह परिणाम की परवाह नहीं करता। एक सामान्य व्यक्ति के अपराध की अपेक्षा एक विशेष व्यक्ति का अपराध ज्यादा घृणित होता है क्योंकि विशिष्ट व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों के लिए अनुकरणीय होता है।
सिद्धू जैसा व्यक्ति जो अपने खिलाड़ी जीवन में भी लोगों का मनोरंजन किया करता था और बाद में जब भी विभिन्न शो के हिस्सा बनकर लोगों का दिल बहलाया, उससे इतनी बड़ी गलती हुईं जो अपराध की श्रेणी में आईं और उनके जेल जाने की नौबत आ गईं।
सिद्धू के साथ जुड़ी यह घटना उनके जीवन के लिए एक अत्यंत दुखद घटना तो है ही साथ ही उनके समर्थकों के लिए भी सबक है कि क्रोध में कभी भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए।