चीन को चेतावनी
क्वाड बैठक के पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उसने ताइवान के खिलाफ हमला किया तो अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा। इसका मतलब है कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले से उत्पन्न स्थिति का फायदा उठाकर यदि चीन ने किसी भी तरह का दुस्साहस वियतनाम के खिलाफ करने की कोशिश की तो उसे अमेरिका के प्रातिरोध का सामना करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बिडेन जापान की राजधानी टोक्यो में 24 मईं को आयोजित होने वाली क्वाड शिखर बैठक में शामिल होने के लिए एशिया में आए हुए हैं। जापान जाने से पहले उन्होंने दक्षिण कोरिया की यात्रा की और अपनी यह यात्रा भी उन्होंने स्त्रात्जिक उद्देश्यों के लिए ही की थी।
असल में क्वाड की बैठक से चीन तमतमाया हुआ है और वह अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया के इस गठबंधन को एशिया का नाटो बताकर अपने खिलाफ षड्यंत्र साबित करने में जुटा है। चीन चाहता है कि एशिया में अमेरिका विरोधी देशों को क्वाड का नाम लेकर भड़काया जा सकता है ताकि उन्हें अपने व्यापारिक हितों के लिए इस्तेमाल किया जा सके। चीन का दूसरा फायदा यह होगा कि जो देश अमेरिका के खिलाफ हैं फिर भी भारत के नजदीक हैं उन्हें भी भारत के खिलाफ भड़काया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि चीन की छटपटाहट बढ़ती ही जा रही है जबकि चीन जानता है कि क्वाड हिन्द प्राशांत क्षेत्र में स्त्रात्जिक रणनीति के लिए भी काम कर रहा है। यदि क्वाड के सदस्य देशों में आर्थिक सहयोग का तंत्र विकसित एवं सक्रिय हो जाए तो चीन के हित अपने आप प्राभावित होने लग जाएंगे। इसीलिए अमेरिका भी क्वाड में दिलचस्पी ले रहा है।
कोईं संगठन चाहे वह स्त्रात्जिक हो या फिर आर्थिक सहयोग से संबंधित, जब तक वह सकारात्मक भाव से काम नहीं करता तब तक सफल नहीं हो सकता। ऐसे संगठन किसी देश या संगठन के खिलाफ ही भूमिका निभाएंगे तो वह काफी दिनों तक प्राभावी नहीं रह सकते। यही कारण है कि अमेरिका के नेतृत्व में छोटे और विकासशील देश एकजुट हो जाते हैं किन्तु रूस के पक्ष में बहुत कम ही देश गोलबंद होते हैं।
चीन इस बात को अच्छी तरह जानता है कि अमेरिका सभी छोटे या विकासशील देशों को मदद नहीं देता। इसलिए चीन परियोजना की मदद के बहाने त्रण देना शुरू कर देता है। पहले तो छोटे देश कर्ज ले लेते हैं किन्तु जब चीन की ऊंची दर का ब्याज भुगतान नहीं कर पाते तो वह संबंधित परियोजना को ही पट्टे पर हथिया लेता है। बहुत सारे देश चीन के इस शोषणकारी षड्यंत्र से त्रस्त हैं। इसीलिए यदि अमेरिका भारत, जापान और आस्ट्रेलिया मिलकर एक मजबूत स्त्रात्जिक और आर्थिक शक्ति बनते हैं तो चीन की कोईं भी वुटिलता सफल नहीं होगी।