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खतरे की घंटी

👤 mukesh | Updated on:1 Aug 2022 4:38 AM GMT

खतरे की घंटी

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पाकिस्तान की आर्थिक हालत लगातार खराब हो रही है। इसका संकेत पहले मूडी फिर फिच और अब एस एंड पी ग्लोबल ने दे दिया है। पाकिस्तान इस वक्त श्रीलंका के रास्ते पर सरपट दौड़ रहा है किन्तु सरकार के पास एक विकल्प है कि वह अपने सार्वजनिक उपक्रमों को विदेशी मित्र देशों को बेचकर पैसा जुटाए।

पाकिस्तान सरकार ने सरकारी उपक्रमों को बेचने के लिए संसद में एक कानून बनाया है ताकि विक्रय प्रक्रिया को अदालत में चुनौती न दी जा सके। सरकार चीन और सउदी अरब से पहले ही काफी कर्ज ले चुकी है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईंएमएफ) से तो इमरान खान ही अपने समय में काफी कर्ज ले चुके थे। इमरान खान ने आईंएमएफ की शर्तो के मुताबिक कर्ज लेकर देश में खाने-पीने से लेकर बिजली, गैस और पेट्रोल-डीजल पर बहुत ज्यादा टैक्स वसूला था। अब इससे ज्यादा टैक्स वसूल पाना मौजूदा सरकार के लिए संभव नहीं है। शाहबाज शरीफ की ठनठन गोपाल सरकार फिर आईंएमएफ के पास 1.2 अरब डालर के लिए पहुंच गईं किन्तु बैंक ने देश की खराब आर्थिक स्थिति को देखकर उक्त राशि रिलीज करने से मना कर दिया। देश की आर्थिक दुर्दशा देखकर अब सेना प्रामुख कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका की विदेशी मामलों की उपसचिव वेंडी शर्मन से अनुरोध किया है कि आईंएमएफ से 1.2 अरब डालर की राशि रिलीज कराने में मदद करें अन्यथा पाकिस्तान में आर्थिक संकट का नियंत्रण संभव नहीं है।

मजे की बात तो यह है कि आईंएमएफ ने जब इमरान खान के वक्त कर्ज दिया था तब भी शर्त लगाईं थी कि उनके कर्ज की राशि से न तो चीन के कर्ज का भुगतान होना चाहिए और न ही किसी तरह की सब्सिडी दी जा सकती है। आतंक प्रोमी देश होने के कारण पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी (ग्रो) सूची में है इसलिए कोईं भी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था उसे आसानी से कर्ज देना ही नहीं चाहती।

भुगतान संतुलन के संकट से जूझ रहा पाकिस्तान कर्ज के लिए चीन, सउदी अरब, यूएईं जैसे देशों से गिड़गड़ाता रहा किन्तु सब जगह से उसको एक ही जवाब मिल रहा है 'अब और नहीं।' चीन तो इसलिए भी पाकिस्तान से नाराज है कि एक तरफ तो उसके कर्मचारियों और इंजीनियरों को पाकिस्तान में मारा जा रहा है जबकि दूसरी तरफ सीपीईंसी यानि चीन पाक इकोनामिक कारिडोर के निर्माण में पाकिस्तान अपने हिस्से का भुगतान नहीं कर रहा है जिसकी वजह से काम रुका पड़ा है।

बहरहाल पाकिस्तान में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है सभी संबंधित संस्थानों ने खतरे की घंटी बजा दी है क्योंकि 21.32 प्रातिशत मुद्रास्फीति सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। सरकार ने बाहर से आयात पर रोक लगा रखी है। जून में विदेशी मुद्रा भंडार सिर्प 8.24 अरब डालर ही बचा तो स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान ने सरकार से तत्काल आयात पर प्रातिबंध लगाने की सलाह दी और सरकार ने सलाह को मान भी लिया। लेकिन तत्काल राहत के लिए पाकिस्तान सरकार को कोईं मदद न मिलने से देश में भयंकर आर्थिक संकट पैदा हो गया है। (एसपी)

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