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हम नहीं दे पाए आधी आबादी को पंख न ही सुरक्षित पिंजरा

👤 Veer Arjun | Updated on:18 Aug 2022 7:10 AM GMT

हम नहीं दे पाए आधी आबादी को पंख न ही सुरक्षित पिंजरा

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देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से महिलाओं को अपमानित न करने का देश को संकल्प दिलवाया और कहा, 'क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं। यहां प्रधानमंत्री महिलाओं के सम्मान की बात और संकल्प दिलवा रहे थे वहीं उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि रहे गुजरात में गोधरा कांड के दौरान बिलकीस बानो गैंग रेप केस के सभी सजायाफ्ता दोषियों को रिहा कर दिया गया और इन बलात्कारियों, हत्यारों का जेल से निकलने के बाद मिठाईं खिलाकर पूलमाला पहनाकर स्वागत किया गया, इतना ही नहीं इन समाज पर कलंकित अपराधियों के पैर भी छू कर अभिनंदन किया गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि न्यूज चैनलों पर भी दिखाया गया। इन सजायाफ्ता अपराधियों ने पांच माह की गर्भवती बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया। तीन साल की उसकी छोटी-सी बच्ची को उसके सामने पटक-पटक कर मार डाला, इतने से भी मन नहीं भरा और उसके परिवार के सात लोगों की जघन्य हत्या भी कर दी। यह घटना 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में घटी।

गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों से साफ है कि पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले वैदियों को तीन चरणों में रिहा किया जाएगा : 15 अगस्त, 2022, 26 जनवरी, 2023 और 15 अगस्त, 2023 को यहां मंत्रालय ने साफ-साफ कहा है कि इस योजना में मौत या उम्रवैद की सजा पाने वाले बलात्कार, आतंकवाद के आरोपी, दहेज हत्या और मनी लांड्रिंग के मामलों के दोषी ठहराए गए वैदियों पर यह लागू नहीं होता है।

अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि इन बलात्कारियों और हत्या के आरोपियों को वैसे रिहाईं मिल गईं, क्या यह गुजरात जो मोदी जी और अमित शाह जी की पहचान है वहीं पर उनके हुक्म की नाफरमानी की गईं।

आजादी के अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस पर जहां प्रधानमंत्री जी महिलाओं के लिए सम्मान का संकल्प देशवासियों को दिलवा रहे थे वहीं वुछ महिलाएं बिलकीस बानो के बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाईं पर उनके माथे पर तिलक लगा रही थीं, यह कितने शर्म की बात और निंदनीय वृत्य है। क्या इन तिलक लगाने वाली औरतों की खुद से नजर मिलाने की हिम्मत हुईं होगी, वैसे उन्होंने हत्या और बलात्कार के सजायाफ्ता बिपिन चन्द्र जोशी, शैलेन्द्र भट्ट, राधेश्याम शाह, बाकाभाईं वोहानिया, केशर भाईं वोहानिया, जसवंत नाईं, गोविन्द नाईं, प्रदीप मोर्धिया, राजूभाईं सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना के माथे पर तिलक लगाया होगा।

पाठकों को याद होगा वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर जब वैदियों की विशेष माफी का पैसला लिया गया था तब ध्यान रखा गया कि उक्त श्रेणी के वैदी रिहा न किए जाएं। यह पत्र सूचना मंत्रालय की 18 जुलाईं 2018 के प्रेस विज्ञप्ति से भी बताया गया था। इस आम माफी में नेताओं को बाहर रखा गया था। मोदी सरकार की वैबिनेट ने पैसला किया था कि किन-किन मामलों में जेल में बंद वैदियों को माफी दी जाएगी और कौन-कौन से मामलांे में सजा काट रहे वैदियों की माफी नहीं दी जाएगी। इसमें साफ था कि हत्या के मामलों में उम्रवैद काट रहे वैदियों और बलात्कार के मामले में सजा काट रहे वैदियों को आम माफी नहीं दी जाएगी।

बेशक इसमें कानूनी प्रावधान है और समय-समय पर सजा घटाईं जाती रही है परंतु सरकार ने बेशक आजादी के अमृत महोत्सव में और गांधी जी की 150वीं जयंती पर भी साफ किया था और नीतिगत रूप से भी मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह जी नहीं चाहते थे कि हत्या और बलात्कार के वैदियों को आम माफी दी जाए और यह आदेश राज्यों को भी भेजे गए परंतु तब भी गुजरात सरकार ने बिलकीस बानो के केस में सजा काट रहे वैदियों को विशेष माफी दे दी है। इतना ही नहीं जिस केस की जांच सीबीआईं द्वारा की गईं है उसमें तो विशेष माफी की नीति लागू ही नहीं होती और आप को शायद याद हो इस केस की जांच सीबीआईं द्वारा ही की गईं थी।

कानून के जानकार इस फैसले को बेशक अवैध और गैर कानूनी नहीं मान रहे मगर इस पैसले को उचित भी नहीं मान रहे। बिलकीस बानो की तरह निर्भया की मां ने भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी बेटी के हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुंचाया। उन्हें विशेष माफी नहीं फांसी मिली, परंतु बिलकीस बानो की तीन साल की बेटी जिसे इन विशेष माफी वीरों ने दीवार पर पटकर उसकी आंखों के सामने मार दिया। उसके रिश्तेदारों की हत्या कर दी और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। उन्हें 15 अगस्त को विशेष माफी मिल गईं तो हम नहीं दे पाए आधी आबादी को पंख और न ही सुरक्षित पिंजरा। (सीकि)

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