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वित्तमंत्री की नसीहत

👤 Veer Arjun | Updated on:14 Sep 2022 3:57 AM GMT

वित्तमंत्री की नसीहत

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय उद्योगपतियों की तुलना हनुमान जी से करते हुए पूछा है कि जब विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार पर भरोसा है और वह प्रात्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआईं) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश यानि एफपीईं प्रावाह और शेयर बाजार में जिस तरह निवेश करते हैं उससे पता चलता है कि उन्हें भारतीय बाजार पर भरोसा है। सीतारमण ने भारतीय निवेशकों से पूछा कि ''क्या आप हनुमान की तरह हैं जो अपनी ताकत और क्षमता पर भरोसा नहीं करते। वित्तमंत्री ने कहा कि यह समय भारत का है और हम इस अवसर को खो नहीं सकते।''

असल में हनुमान जी को एक त्रषि का श्राप था कि जब तक उन्हें बताया नहीं जाएगा कि वह महाबली हैं तब तक उन्हें अपनी शक्ति का एहसास ही नहीं होगा। यही बात वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय उद्योग जगत से कहा है।

सच तो यह है कि जो भारतीय निवेशक भारतीय बाजार में निवेश कर रहे हैं, उन्हें लाभ भी हो रहा है किन्तु जो बहुराष्ट्रीय वंपनी बनने की ललक में ऐसा नहीं कर रहे हैं, वह अवसर से वंचित हो रहे हैं। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार प्राॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम लेकर आईं है, विनिर्माण क्षेत्र में निवेश के लिए टैक्स रेट्स में कटौती की गईं है।

उन्होंने यह भी कहा कि कोईं भी नीति अपने आप में अंतिम नहीं हो सकती। जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं वह विकसित होती रहती हैं। यह उन उद्योगों पर भी लागू होता है, जो उभरते क्षेत्र से जुड़े हैं, जिनके लिए सरकार ने प्रोत्साहन के माध्यम से नीतिगत समर्थन दिया है।

सवाल है कि भारतीय उद्योगपतियों की आशंकाओं को दूर कौन करेगा? यह भूमिका तो सरकार को ही निभानी होगी। ईंज ऑफ डूइंग के माध्यम से सरकार घरेलू उद्योगपतियों को इस बात का एहसास दिलाए कि उनके निवेश को कोईं संकट नहीं है अन्यथा हैरानी की बात जरूर है कि विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार पर भरोसा है जबकि भारतीय निवेशकों को ही नहीं है। मतलब यह कि भारतीय उद्योगपति हनुमानों को उनके महाबली होने का एहसास सरकार को ही कराना होगा। (एसपी)

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