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आदेश संस्थान में विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:22 April 2019 2:39 PM GMT
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राजकुमार कौशिक

थानेसर। 'वर्ल्ड अर्थ डे यानी विश्व पृथ्वी दिवस' मौके पर आदेश कालेज प्रधानाचार्य डॉ. बी एल भारद्वाज की अगुवाई में आदेश मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कैंपस में विशेष पौधा रोपण अभियान चलाया गया । इस दौरान जगह-जगह 50 विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गए। मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ. दलबीर सिंह, सहायक मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ. नरेश ज्योति, महाप्रबंधक हरी ओम गुप्ता, एचओडी फॉरेंसिक मेडिसिन डॉ. एस एस ओबेराय ने कार्पाम में विशेष सहयोग देकर इसे सफल बनाया। इस मोके संबोधित करते हुए कालेज प्रधानाचार्य डॉ. बी एल भारद्वाज ने ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पर्यावरण संरक्षण और ताजी हवा के लिए पौधों का रोपण करना बेहद आवश्यक हो गया है।

अपने सम्बोधन में मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ. दलबीर सिंह ने बताया की 22 अप्रैल 1970 को पहला अर्थ-डे मनाया गया था। इसकी शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी को देखने के बाद वे इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर कुछ करने का फैसला किया । यह पर्यावरण की जागरुकता को लेकर सबसे बड़ा आयोजन था और पृथ्वी दिवस अमेरिका और दुनिया में लोकप्रिय साबित हुआ ।

महाप्रबंधक हरी ओम गुप्ता ने बताया की ''पृथ्वी दिवस या अर्थ डे'' का नाम जुलियन कोनिग ने 1969 ने दिया था। इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया था । क्योकि इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी था । उन्होंने कहा कि ''अर्थ डे'' ''बर्थ डे'' के साथ ताल मिलाता है, इसलिए अर्थ-डे नाम रखा गया।

एचओडी फॉरेंयिक मेडिसिन डॉ. एस एस ओबेराय ने कहा की पहले भी पर्यावरण और प्रदूषण को लेकर लोग फैक्ट्री, पॉवर प्लांट, सीवेज और पेस्टीसाइड्स का विरोध करते थे। लेकिन अर्थ डे ने सबको एक साथ एक मंच पर अपनी बात रखने का मौका दिया है ।

धरती को बचाना है तो ये पांच बातें याद रखें -डॉ. ज्योति

सहायक मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ. नरेश ज्योति ने बताया की धरती को सबसे बडा खतरा ग्लोबल वार्मिंग से है। धरती के तापमान में लगातार बढते स्तर को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि है। इन गैस में नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन हैं। दूसरा खतरा औद्योगीकरण के बाद कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 15 सालों में कई गुना बढ़ा है। इन गैसों का उत्सर्जन फिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है। तीसरा खतरा विश्व में प्रतिवर्ष 10 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है और यह लगातार बढ रहा है । चौथा खतरा मौसम पा में हो रहे लगातार बदलाव से पर्यावरण पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। पूरे विश्व में गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी और पांचवा खतरा पेड़ को काटना और नदियों, तालाबों को गंदा करना हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बना हुआ है।

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