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कई पार्षदों ने भाजपा सरकार को लोकलुभावनी योजनाओं की नाकामियों पर घेरा

👤 admin 4 | Updated on:10 Aug 2017 2:24 PM GMT
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बहादुरगढ़ (राकेश पंवार)। हरियाणा और बहादुरगढ़ की जनता ने तीन साल पहले उम्मीदों के साथ भाजपा को केंद्र और प्रदेश की सत्ता सौंपी। लेकिन आज जनता के हाथ निराशा के अलावा कुछ नहीं लगा। विभिन्न लोकलुभावनी योजनाओं के नाम पर गरीब लोगों के चक्कर कटवाए जा रहे हैं। यह कहना है नगर पार्षद रवि खत्री, गुरुदेव राठी, सतप्रकाश छिकारा, कांता राजेश खत्री और सीमा वजीर राठी का। इन पार्षदों के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत मई महीने में शौचालयों के लिए सर्वे हुआ था। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद किसी गरीब के खाते में एक भी पैसा नहीं आया है और लोग पार्षदों के घरों से लेकर नगर परिषद कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। नगर पार्षद रवि खत्री, गुरुदेव राठी, सतप्रकाश छिकारा, कांता राजेश खत्री और सीमा वजीर राठी के अनुसार सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के लिए जनता से स्वच्छता सेस के नाम पर करोड़ों रुपए का टैक्स वसूला और विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए। लेकिन असल में सफाई के नाम पर जनता के हाथ महज गंदगी ही लग रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत को लेकर सरकार की सोच जो भी हो, लेकिन ये सोच देश में शौचालयों में तब्दील होती नहीं दिख रही है। बहादुरगढ़ शहर में मई महीने में सर्वे हुआ। उस समय कहा गया था कि जिन घरों में शौचालय नहीं है, उन्हें शौचालय बनाने के लिए 14 हजार रुपए की ग्रांट दी जाएगी। हजारों आवेदकों के आधार कार्ड के साथ बैंक खाते का नंबर भी लिया गया था। यह वायदा किया गया था कि शौचालय निर्माण के लिए 7 हजार रुपए की पहली किश्त उनके बैंक खाते में जल्द पहुंच जाएगी। जिसके बाद शौचालय निर्माण के साक्ष्य भेजने पर शेष 7 हजार रुपए भी उनके खाते में आ जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि आज तीन महीने बाद भी गरीब लोग शौचालय बनाने के लिए ग्रांट नहीं मिलने पर पार्षदों और नगर परिषद कार्यालय में धक्के खा रहे हैं। इस योजना के तहत पैसा भाजपा सरकार ने देना था, लेकिन लगता है यह योजना भी सरकार का जुमला बनकर रह गई है। हर सरकारी योजना की तरह स्वच्छ भारत अभियान का ढोल तो खूब पीटा गया, लेकिन शुरुआती तेजी के बाद शायद सरकार का जोश भी ठंडा पड़ गया है। ऐसे में ना तो सभी घरों में शौचालय का लक्ष्य पूरा हो सकेगा, ना भारत को स्वच्छ बनाने का सपना। स्वच्छ भारत मिशन को लेकर सरकार और अधिकारियों की उदासीनता लोगों के लिए निराशाजनक है।

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