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हरियाणा में पहली बार हुआ संस्कृत में पंजीकरण

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:4 May 2018 3:08 PM GMT
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थानेसर, (राजकुमार कौशिक)। थानेसर तहसील में संस्कृत भारती न्यास का पंजीकरण हुआ। इस पंजीकरण के साथ ही हरियाणा पदेश के इतिहास में एक नया अध्याय जुडक्व गया क्योंकि संस्कृत भाषा में होने वाला इस तरह का यह पहला पंजीकरण है। कुरुक्षेत्र तहसील में तहसीलदार परमिंदर सिंह ने संस्कृत भारती न्यास द्वारा लिखित न्यास पत्र को मूल रूप (संस्कृत )में पंजीकृत करने की अनुमति दी। इस अवसर पर संस्कृत भारती के पदेश उपाध्यक्ष डॉ श्रेयांश द्विवेदी ने कहा कि आज यह एक पुनीत अवसर है और हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात है जब हम संस्कृत भाषा में न्यास का पंजीकरण करवा रहे हैं। यह सब संस्कृत भाषा को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से किया गया है।

उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के पचार-पसार को लेकर पूरी तरह वचनबद्ध है। भारतीय संस्कृति की पताका पूरे विश्व में लहराए इसके लिए हरियाणा की भूमि पर तेजी से कदम बढक्वाए जा रहे हैं। हरियाणा में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के पयास भी इसी उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में नए सोपान तय करेंगे। भारत को विश्व गुरु बनाने के पयासों में शामिल विगत 35 वर्षों से संस्कृत भारती कार्यरत है। वर्तमान में विश्व के 40 देशों में संस्कृत भारती अपने 14 पकल्पों के साथ निरंतर मानव संस्कृति तथा वैदिक संस्कृति की पुनः स्थापना के लिए विश्व भाषा संस्कृत को जन-भाषा बनाने के लिए कृतसंकल्प है। इसी श्रंखला में सरस्वती सभ्यता की उद्गम स्थली कुरुक्षेत्र में संस्कृत भारती हरियाणा के न्यास का पंजीकरण कराने का लक्ष्य रखा गया। इसको आज मूर्त रूप देते हुए न्यास का पंजीकरण किया गया । यह पूरा पंजीकरण संस्कृत भाषा में लिखित है जिसको पूर्ण करने के लिए कुरुक्षेत्र तहसील अधिकारी विशेष बधाई के पात्र हैं । इस कार्य को कुरुक्षेत्र जैसी पावन धरा पर संपन्न करके ऐतिहासिक शुरुआत की गई जिससे संस्कृत भाषा भाषियों को एक नई पेरणा मिलेगी । इसी के साथ संस्कृत को जनभाषा बनाने का सपना साकार हो सकेगा। यह इसलिए भी जरूरी था कि संस्कृत भाषा को ज्यादा लोग अपना सकें और अपना कार्य संस्कृत भाषा में कर सकें।

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