हरियाणाः नारनौंद विधायक रामकुमार के बगावती सुर तेज
चंडीगढ़। पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु को पटखनी देने वाले जनजनायक जनता पार्टी के नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम के बगावती सुर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। नारनौंद विधायक ने अब खुलकर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मुखालफत करनी शुरू कर दी है। उनके बगावती सुरों से स्पष्ट है कि अंदर खाते कई अन्य विधायक भी उप मुख्यमंत्री से खफा हैं, जो कभी भी बागी तेवर अपना सकते हैं।
गौतम ने बकायदा उनके नाम भी उजागर किए हैं, जो अपने रसूख से विधायक बनें हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में रामकुमार गौतम ने उप मुख्यमंत्री दुष्यंत पर पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के साथ सेटिंग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जिस दिग्गज नेता कैप्टन को उन्होंने चुनाव में हराया, उसी के साथ समझौता करके उन्हें उनके मंत्री पद के रास्ते में रोड़ा बनने का काम किया है।
गौतम ने दुष्यंत पर नारनौंद हलके को बेचने का आरोप जड़ा है। यही नहीं उन्होंने जजपा में शामिल होने के फैसले पर पश्चाताप भी किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे खुद लोगों को इसमें न शामिल होने की सलाह देते थे, लेकिन परिस्थितियों के सामने व्यक्ति मजबूर हो जाता है और उसे समझौता करना पड़ता है।
गौतम ने कहा है कि उन्होंने जजपा में शामिल होकर बहुत बड़ी गलती की या फिर यूं कहें की बुढ़ापे में उनकी अक्ल खराब हो गई थी। राजनीति में उन्होंने हमेशा बेवकूफी की है। कांग्रेस छोड़कर अपनी सवर्जन कल्याण पार्टी बनाई और जमानत जब्त कराई, इसके बाद भाजपा में अच्छी खासी इज्जत थी, लेकिन जब काम करने का समय आया तो पार्टी छोड़ दी।
गौतम ने दुष्यंत पर हमला बोलते हुए कहा कि अपने जिले के लोग इसे अच्छी तरह परख चुके हैं, वहां जजपा के उम्मीदवारों को चार से पांच हजार वोट ही आए हैं। गौतम ने यह भी कहा कि दुष्यंत रणनीति के तहत फैसला नहीं लेता, लोकसभा चुनाव में दिग्विजय चौटाला को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चुनाव लड़ाना बेवकूफी थी और यही बेवकूफी जींद उपचुनाव में भी की गई। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसी परिस्थितियां नहीं बन जाती कि उन्हें पार्टी छोड़ने की नौबत आए, तब तक वे जनता की सेवा करते रहेंगे। जनता की सेवा के लिए ही वे विधायक बनें हैं।
विरोधी से किया समझौता :
नारनौंद विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि उसके विरोधी कैप्टन अभिमन्यु से समझौता करने पर वे पहले ही दुष्यंत चौटाला से नाराज हो चुके थे। मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण से पहले उन्हें दुष्यंत ने बुलाया था और बोला था कि चार दलितों में एक को राज्यमंत्री बनाया जा रहा है और एक विधायक को दूसरी बार राज्यमंत्री बनाया जाएगा। मगर वह खुद 11 विधायक लेकर बैठा है। इसका सबसे बड़ा कारण पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु से समझौता करना है। इसके अलावा भी कई अन्य फायदा चौटाला परिवार ने उठाए हैं, क्योंकि कैप्टन और अजय चौटाला आपस में रिश्तेदार हैं। अहम बात यह भी है कि रिश्तेदार को चुनाव में हराने के लिए रामकुमार गौतम का प्रयोग किया। बकायदा सर्वे रिपोर्ट के आधार पर उन्हें चुनाव लड़ाया गया था।
विधायक ट्रांसफर कराने के लिए भी खा रहे धक्के :
रामकुमार गौतम ने दुष्यंत चौटाला पर हमला बोलते हुए कहा कि जिन विधायकों का अपना रसूख है, उनकी अनदेखी की जा रही है। आज वे ट्रांसफर के लिए भी धक्के खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधायक जोगीराम सिहाग, देवेंद्र बबली, रामकरण काला और ईश्वर सिंह का हलकों में अपना रसूख है। जजपा का वहां कोई वजूद और जनाधार नहीं था, मगर आज उनकी अनदेखी की जा रही है। गौतम ने यह भी कहा कि कोई भी विधायक दुष्यंत चौटाला की कार्यशैली से खुश नहीं है, वे अंदर खाते पूरी तरह खफा हैं। (एजेंसी हिस.)