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स्मार्टफोन के अत्याधिक इस्तेमाल से किशोरों में बढ़ सकता है आत्महत्या का खतरा

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:1 Dec 2017 4:18 PM GMT

स्मार्टफोन के अत्याधिक इस्तेमाल से किशोरों में बढ़ सकता है आत्महत्या का खतरा

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न्यूयॉर्क, (भाषा)। स्मार्टफोन ने बेशक हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है लेकिन उसके कुछ खतरनाक असर भी सामने आए हैं। जो किशोर स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक क्रीन्स पर अधिक समय बिताते हैं उनके अवसादग्रस्त होने और उनमें आत्महत्या की प्रवृत्तियां दिखाई देने का खतरा हो सकता है। अमेरिका में फ्लोरिडा स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि आप स्मार्टफोन पर जितना वक्त बिताते हैं उसे अवसादग्रस्त होने और आत्महत्या के लिए खतरा माना जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के थॉमस जॉइनर ने कहा, क्रीन्स देखने में अत्यधिक समय बिताने और आत्महत्या के खतरे, अवसादग्रस्त होने, आत्महत्या के ख्याल आने तथा आत्महत्या की कोशिश करने के बीच चिंताजनक संबंध है।

उन्होंने कहा, ये सभी मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे बेहद गंभीर हैं। मुझे लगता है कि अभिभावकों को इस पर विचार करना चाहिए। शोधकर्ताओं ने पाया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर हर दिन पांच या उससे ज्यादा घंटे बिताने वाले किशोरों में से 48 फीसदी में आत्महत्या से संबंधित प्रवृत्तियां देखी गई। इसके मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक उपरकणों पर एक घंटे से कम समय बिताने वाले किशाराव्स्था में पहुंच रहे बच्चों में से 28 प्रतिशत में ऐसी प्रवृत्तियां देखी गई। यह अध्ययन जर्नल क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका सेंटर्स फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, वर्ष 2010 के बाद से 13 और 18 आयु के किशोरों के बीच अवसाद और आत्महत्या की दर में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। इनमें लड़कियों की संख्या अधिक है। अध्ययन में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अत्यधिक इस्तेमाल करने को इसकी वजह बताया
गया है।

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