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बुरी खबरों से उन्माद फैलता है : अध्ययन

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:10 Jun 2018 2:12 PM GMT

बुरी खबरों से उन्माद फैलता है : अध्ययन

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लंदन , (भाषा)। आतंकवाद , बीमारियों का प्रकोप , प्राकृतिक आपदा और अन्य संभावित खतरों पर आधारित खबरें जब फैलती हैं तो ये नकारात्मकता और उन्माद का प्रसार करती हैं। एक शोध में ये तथ्य सामने आए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि यहां तक कि निष्पक्ष तथ्यों पर आधारित खबरें भी दहशत के प्रसार को कम नहीं कर पातीं। यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें नकारात्मक खबरों के सामाजिक प्रभाव की पड़ताल करता है। ब्रिटेन के वारविक विश्वविद्यालय के थॉमस हिल्स ने कहा कि समाज में जोखिम बढ़ते जा रहे हैं। यह शोध बताता है कि वास्तविक दुनिया में खतरों में लगातार कमी आने के बावजूद विश्व में खतरे क्यों बढ़ते जा रहे हैं। हिल्स ने कहा कि सूचना के ज्यादा साझा होने पर उसमें से तथ्य गायब होने लगते हैं। उनका स्वरूप इतना बिगड़ जाता है कि उसमें सुधार करना मुश्किल हो जाता है। सोशल मीडिया पर खबरों ा"ाrक और फर्जी दोनों की तरह का , अफवाहों , रीट्वीटों और संदेशों के प्रसार से समाज पर अहम प्रभाव पड़ता है।

शोधकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर 154 प्रतिभागियों का विश्लेषण किया। उन्हें आ" - आ" लोगों के 14 समूह में बांटा गया और प्रत्येक समूह के एक व्यक्ति को संतुलित , तथ्यात्मक समाचार पढ़वाया गया तथा खबर पर दूसरे व्यक्ति को एक संदेश लिखने को कहा गया। इसी तरह से तीसरे ने चौथे व्यक्ति के लिए संदेश लिखा और आगे भी यही सिलसिला रहा।

हर समूह में , डरावने विषयों पर खबरें जैसे - जैसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास गईं वैसी ही सूचना तेजी से नकारात्मक , पक्षपातपूर्ण और दहशत भरी हो गईं। इसके बाद जब मूल निष्पक्ष तथ्य फिर से सामने रखे गए तो भी यह डर दूर नहीं हो पाया।

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