डायबीटीज से हो सकता है रेटिनोपैथी का खतरा
मधुमेह रेटिनोपैथी एक ऐसी स्थिति है जिसमें मधुमेह के कारण एक व्यक्ति का रेटिना क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसलिए इसमें सावधानी बेहद जरुरी है। डायबीटीज (मधुमेह) की वजह से शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं जिसमें आंखें भी शामिल हैं।
डायबीटीज के कारण रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है। इसी समस्या को डायबीटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है। इसका खतरा 20 से 70 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है। शुरू-शुरू में इस बीमारी का पता नहीं चलता। जब आंखें इस बीमारी से 40 फीसदी तक ग्रस्त हो जाती हैं उसके बाद इसका प्रभाव दिखने लगता है।
डायबीटीज की वजह से शरीर का इंसुलिन प्रभावित हो जाता है। यही इंसुलिन ग्लूकोज को शरीर में पहुंचाता है। जब इंसुलिन नहीं बन पाता या कम बनता है तो ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और खून में घुलता रहता है। इसी कारण खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। यही खून शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचता है।
आंखों की रक्त नलिकाएं शरीर में सबसे ज्यादा नाजुक होती हैं इसलिए ये सबसे पहले प्रभावित होती हैं। रक्त नलिकाओं के फटने से रिसने वाला रक्त कई बार रेटिना के आसपास इकट्ठा होता रहता है, जिससे आंखों में ब्लाइंड स्पॉट भी बन सकता है।
डायबीटीज का पता चलते ही ब्लड शुगर और कलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करें, यहां तक कि सामान्य लोगों को साल में एक-दो बार आंखों की जांच करवानी चाहिए।
बीमारी के लक्षण
चश्मे का नम्बर बार-बार बढ़ना
आंखों का बार-बार संक्रमित होना
सुबह उठने के बाद कम दिखाई देना
सफेद या काला मोतियाबिंद
आंखों में खून की शिराएं या खून के थक्के दिखना
रेटिना से खून आना
सिर में दर्द रहना
अचानक आंखों की रोशनी कम हो जाना