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रोमन में हिंदी संदेश भेजने की आदत सबको पड़ गयी है

👤 Admin 1 | Updated on:16 May 2017 6:23 PM GMT

रोमन में हिंदी संदेश भेजने की आदत सबको पड़ गयी है

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सूचना और तकनीकी युग में मोबाइल का प्रयोग प्रतिशत आशातीत हुआ है। इसने पत्र व्यवहार तो प्रायः बंद ही कर डाला है जो अक्सर नागरी लिपि में होता था। एसएमएस का जमाना है और ये रोमन लिपि में किये जा रहे हैं। प्रयोक्ता के हाथों यह लिपि मोबाइल पर उनकी आदत बनती जा रही है। इससे देव नागरी रोमन से मात खा रही है। विज्ञापन का प्रयोग निर्माता अपनी वस्तु विक्रय के लिए हिन्दी भाषा व रोमन लिपि में करने लगे हैं जैसे कुरकुरे के लिए 'टेढ़ा' है पर मेरा है' को वे रोमन में लिखते हैं।

और भी कितने ही विज्ञापन ऐसे आने लगे हैं। उत्तर भारत के मील के पत्थरों पर स्थान नाम भी रोमन में होते हैं। जो कभी नागरी में हुआ करते थे। दक्षिण भारत में केरल और तमिलनाडु में कन्याकुमारी के आस-पास नागरी लिपि को आज की तारीख में आप सड़कों, बाजारों व स्टेशनों पर नहीं पायेंगे। जबकि वहां कम से कम स्थान नाम तो नागरी लिपि में भी लिखे होने चाहिए।

भारतीय कार्यालय में सूचनाएं और आदेश तो हिंदी में होने ही चाहिए। एक ऐसे शब्दकोश का निर्माण भी होना चाहिए जिसमें दैनिक व्यावहारिक शब्दावली द्रविड़ भाषाओं के साथ हिंदी और उसकी लिपि नागरी में होनी चाहिए। जिससे धुर दक्षिण में पहुंचकर उत्तर भारत का वासी कुछ आसानी अनुभव कर सके। आज भी वहां जाकर स्थिति विकट है। आटो रिक्शा, दुकान और होटल की समस्याएं मुश्किल से सुलझ पाती हैं।

भाषा की समस्या वहीं बहुत प्रबल है। यह छोटा सा शब्दकोश भारतवासी के लिए बड़ा उपयुक्त होगा और इससे छोटी कक्षाओं के पाठ्यक्रम के साथ संलग्न कर देना चाहिए। इससे यह काम चलाऊ भाषज्ञान पूरे भारत का हो जायेगा और भाषायी समस्या का समाधान निकलना शुरू होगा। हम अपनी नागरी लिपि में लिखित इस कोश द्वारा अधिकाधिक भाषाओं से परिचित हो सकेंगे।

डॉ. सुचित्रा मलिक

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