बदला

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:3 Dec 2017 9:18 PM IST

बदला

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प्रस्तुति-धीरज बसाक

पेट्रोक्लस ने कितनी मिन्नतें खुशामदें की थीं, कितना समझाया बुझाया था। उसकी जोर देती हुई आंखें और तर्क में उठे हुए हाथ एकाएक एकिलीस की आंखों के सामने जड़ हो गये। वह अपने प्रिय मित्र के लिए तड़प उठा। लड़ाई से उसे पहले ही विरक्ति हो चुकी थी । वह अपने तम्बू में पड़ा चुपचाप सोच रहा था। परंतु पेट्रोक्लस की हत्या...मेरा दिया हुआ शिरस्त्राण भी उसे नहीं बचा सका, दुष्ट हेक्टर का भाला उसके शरीर को बेध गया। एकियनों की सेना में खुशी छा गयी,एकिलीस फिर युद्ध क्षेत्र में उतर रहा है। बदला लेने की आग से जलता हुआ एकिलीस युद्ध के लिए तैयार हुआ। उसकी मां समुद्र की देवी थेटिस ने चतुर देवता हेपफेस्टेस द्वारा बनाया हुआ शिरस्त्राण उसे दिया।
उसने युद्ध के मैदान में आते ही तबाही मचा दी। ट्रोजनों के झुंड के झुंड,वह तलवार की धर उतार रहा था। उसकी आंखों में खून उतर आया,कहां है पेट्रोक्लस का हत्यारा? इलायस और स्केयन नाम के फाटकों के सामने हेक्टर तैनात था। एकिलीस देवताओं की चालों को भी धता बताते हुए बड़े साहस और शक्ति से आगे बढ़ रहा था। एकिलीस को देखते ही वृद्ध प्रायस ने अपने बेटे हेक्टर को आगाह किया और उससे आगे बढ़कर एकिलीस का सामना करने को कहा। वृद्ध प्रायस के स्वर में गिड़गिड़ाहट की साफ झलक थी,ट्रोजनों में आज मैं बहुत से चेहरों को नहीं देख रहा हूं। मैं अपने दो पुत्रों को गंवा चुका हूं, न जाने वे कहां हैं? यदि वे मर गये हैं तो मेरी और उनकी मां की आत्मा हमेशा दुखी रहेगी। यह एकिलीस हमारे दुखों का कारण है। चारदीवारी के अंदर आकर ट्राय के स्त्राr-पुरुष की रक्षा करो मेरे बेटे।
हेक्टर, एकिलीस का रास्ता रोके खड़ा था जैसे जहरीला अजगर अपने शिकार के इंतजार में बैठा हो। वह सोच रहा था, मुझे जिस विश्वास से पालीडेम्स ने ट्रोजनों का नेतृत्व करने भेजा है, वह भंग नहीं होना चाहिए। अगर मैं फाटकों और दीवारों के अंदर चला जाऊं तो सबसे पहले तो पालीडेम्स ही मेरी निन्दा करेगा। लोग न जाने क्या क्या कहेंगे। मेरे लिए यह बड़ा अच्छा अवसर है। इतने में ही कांसे की चमक फेंकता,अपना भाला हिलाता हुआ एकिलीस आ धमका। हेक्टर फाटकों को पीछे छोड़कर भपान्त होकर भागा। उसके पीछे पीछे था भारी भरकम एकिलीस। तीन बार वे प्रायस के नगर का चक्कर लगा गये। वे दौड़ते हुए चैथी बार झरनों के पास आ गये, जहां एकिलीस ने उसे घायल कर दिया।
हेक्टर ने एकिलीस को चुनौती देते हुए कहा, "मैं तुम्हारे शिरस्त्राण को तो बेध ही चुका हूं। तुम्हारे मृत शरीर को भी एकियनों को वापस कर दूंगा, तुम भी ऐसा ही करना। एकिलीस ने भी ललकारा,ज्यादा बातें मत मारो। तुम्हार बचने का अब कोई रास्ता नहीं है। तुमने अपने भाले के वेग से मेरे मित्र के प्राण लेकर जो खुशी हासिल की, उसका बदला मैं इसी समय तुमसे चुकाने जा रहा हूं, यह मैं निश्चय कर चुका हूँ। एकिलीस ने यह कहते हुए एक भाला फेंका। कांसे का भाला चमकता हुआ हेक्टर के ऊपर से निकल गया और जमीन में जाकर घुस गया। हेक्टर ने अपने ऊपर हुए प्रहार के असफल होने के बाद एकिलीस को चुनौती दी,"अब मेरे भाले के अचूक प्रहार से बच नहीं सकते। यह कहने के साथ ही उसने प्रहार किया, किंतु भाला एकिलीस से काफी दूर रहा।
यह उसका आखिरी भाला था। एकिलीस का भाला देवताओं की कृपा से वापस आ गया था। हेक्टर बिना लड़े ही अपनी पराजय नहीं मानना चाहता था। ऐसा करना वह अपने स्वाभिमान के विरुद्ध समझकर अपनी वीरता का बहुत बड़ा अपमान मानता था। यह विचारते ही उसने अपनी कमर से तलवार खींच ली और बिजली की तरह लपका।एकिलीस अपने सीधे हाथ में भाला लेकर आगे बढ़ा और उसने हेक्टर के गले को सीध निशाना बनाया। इस बार निशाना बिल्कुल ठीक बैठा युवा हेक्टर जमीन पर गिर पड़ा। एकिलीस ने उसको नीचा दिखाते हुए चिल्लाकर कहा, "अब तुम्हारा मांस कुत्ते और गिद्ध तथा अन्य मांसभक्षी पक्षी नोचेंगे।''कुछही पलों में मरणासन्न हेक्टर ने अत्यंत पीड़ा से पीड़ित होकर जमीन पर अपना सिर पटक पटककर आंखें बंद कर लीं और मृत्यु की काली छाया ने उसके सारे शरीर को ढंक लिया।
एकिलीस ने पेट्रोक्लस की मृत्यु का बदला ले लिया था। मृत शरीर की ओर संकेत करते हुए उसने कहा, "मारो और मेरी मौत का क्या है...जब यमराज और अन्य अमर देवता चाहेंगे, तब वह भी आ जाएगी।'' यह कहर उसने मृत शरीर से अपना कांसे का भाला निकाल लिया और कंधें पर से खून लथपथ शिरस्त्राण चीर दिया।उसके बाद एकिलीस ने एकियनों को बुलाकर हेक्टर की मृत्यु की घोषणा की। ट्रोजन जिसे देवता की भांति पूजने लगे थे, वह नहीं रहा। उसके बाद हेक्टर के शरीर को उसने अपने रथ के पीछे बांध और उसका सिर नीचे घिसटने दिया। उसने घोड़ों की रासें संभालीं और रथ को पूरी तेजी से दौड़ा दिया। हेक्टर के चेहरे पर धूल पड़ रही थी। लाश का घसीटा जाना किसी से न देखा गया। उसकी मां ने देखा तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। बूढ़े पिता हृदय के दर्द से कराह उठे। हेक्टर की पत्नी को सबसे देर में यह समाचार मिला। समाचार मिलते ही वह स्तंभित रह गयी। उसने शोक मनाना शुरू कर दिया। पूरा ट्राय शोक निमग्न हो गया। इधर एक लाश पड़ी थी।अंत्येष्टि विहीन और पशु पक्षी उस वीर की मज्जा में कुछ खोज रहे थे।

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