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नेत्रदान महादान, इसके लिये जन-मानस तैयार करें : राज्यपाल

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:7 May 2019 3:06 PM GMT
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भोपाल (ब्यूरो मप्र)। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि नेत्रदान महादान है। इसके लिये जन-मानस तैयार करने की जिम्मेदारी पूरे समाज की है। इस महान कार्य में सरकार के साथ समाज के सभी वर्गों और चिकित्सकों को अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिये। उन्होंने कहा कि चिकित्सक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि धन के अभाव में मरीज उपचार से वंचित न हों। स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण के लिये महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। श्रीमती पटेल आज यहाँ भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आँखों में कॉर्निया और केटरेक्ट से संबंधित बीमारी के निवारण के लिये राज्य अंधत्व निवारण सोसायटी एवं एम्स के सेमीनार को संबोधित कर रही थीं

राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा है कि समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति और पहुँचविहीन क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करें। चिकित्सा सेवाएँ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से उपलब्ध हों। चिकित्सकों को गरीबों के इलाज के लिये समाज के समर्थ व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को बीमारियों के कारणों और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में निरंतर जानकारी देकर सजग बनायें।

राज्यपाल ने कहा कि बेटियों और महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिले, इस पर पूरे समाज को ध्यान देना होगा। उन्होंने स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिये विशेष प्रयास करने पर बल दिया

श्रीमती पटेल ने एम्स अस्पताल में श्रमिकों के बच्चों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों और संचालित विद्यालय की सराहना की। उन्होंने एम्स परिसर में संचालित अपना स्कूल के बच्चों को मेवे, फल और पुस्तकें भेंट की। संस्थान में गम्भीर कुपोषित इकाई का निरीक्षण कर उपचाराधीन बच्चों के स्वास्थ्य के संबंध में चिकित्सकों और माताओं से जानकारी प्राप्त की।

पद्मश्री डॉ. टीटियाल ने बताया कि आँखों की पुतली की बीमारियों से अन्धत्व की समस्या के समाधान में नवीन तकनीक बहुत उपयोगी है। इस विधि में पुतली की सतह के आधार पर रोग की पहचान की जा रही है। उन्होंने बताया कि करीब 40 से 50 हजार सर्जरी प्रतिवर्ष हो रही है, जबकि आवश्यकता इससे अधिक की है। डॉ. टिटियाल ने कहा कि इस बैकलॉग को समाप्त करने के लिए जन-जागृति और संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही प्रत्यारोपण सेवाओं को विस्तारित करना आवश्यक है। नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि विशेषज्ञ द्वारा कार्निया ट्रांसप्लान्ट ऑपरेशन का लाइव प्रसारण कर चिकित्सकों को नवीन विधि का परिचय दिया गया है। उन्होंने बताया कि इंजेक्शन के द्वारा लैंस प्रत्यारोपण करने से सर्जरी के बाद चश्मे की आवश्यकता नहीं रहती है। यह सुविधा एम्स में भी उपलब्ध हो गई है। एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि वर्ष 2012 में स्थापित इस संस्थान के सभी 35 विभागों ने कार्य प्रारम्भ कर दिया है। संस्थान में एम.डी., एम.एस. के साथ ही एम.सी.एस., डी.एम. और पीएच.डी. पाठ्यक्रम संचालित हैं।

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