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भाजपा अध्यक्ष द्वारा सहकारिता के बारे में निर्भीक उद्बोधन देने हेतु उनकी सराहना की यादव ने

👤 admin5 | Updated on:17 Aug 2017 4:06 PM GMT
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भोपाल (ब्यूरो मप्र)। म.प्र. भाजपा के प्रान्ताध्यक्ष श्री नन्दकुमारसिंह चौहान द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ भाजपा के नेताओं द्वारा सहकारिता के पूरे सिस्टम को भ्रष्ट करने वाले निर्भीक उद्बोधन, पर पूर्व मंत्री, म.प्र. कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष द्वारा प्रदेश में सहकारी आन्दोलन को भाजपा शासन द्वारा समाप्त करने के बारे में लगाये आरोपों की ''स्वीकारोक्ति'' ही है। म.प्र. कॉग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रान्ताध्यक्ष पूर्व मंत्री श्री भगवान सिंह यादव ने श्री चौहान के इस साहसिक कदम की सराहना करते हुये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मान. श्री अमित शाह से आग्रह किया है कि वे श्री चौहान को उनकी इस निर्भीक स्पष्टवादिता के लिये उन्हें बधाई देकर उनकी सराहना करें तथा प्रदेश की सहकारी संस्थाओं को समाप्त होने से बचाये जाने हेतु मा. मुख्यमंत्री एवं सहकारिता मंत्री को उचित निर्देश देने का आग्रह किया है।

श्री यादव ने प्रदेश के कृषकों के साथ हो रहे अन्याय तथा समस्याओं के बारे में 29 जुलाई 2017 को मान मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आग्रह किया है कि प्रदेश में कृषकों को हो रही परेशानियों का निराकरण करवायें। श्री यादव ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह जी का ध्यान निम्न तथ्यों की ओर उचित कार्यवाही करवाये जाने हेतु-जिसमें भारतीय संविधान के 97 वें संशोधन के विपरीत प्रदेश के 38 बैंकों में से 13 बैंकों में 6 माह की वजाय 3-3 वर्षो तक प्रशासक बैठाये रखने, जी.ए.डी. के आदेशों का पालन न कर 3 वर्षो तक बैठकें न बुलाना, प्रदेश के कृषि विकास बैंक, तिलहन संघ समाप्त करने, कृषकों की फसल का उचित मूल्य दिलवाने तथा उचित मूल्य की मांग करने पर मन्दसौर में पुलिस गोली से 6 कृषकों की हत्या, प्याज खरीदी में हुये भ्रष्टाचार, उपभोक्ता भण्डारों के भ्रटाचार पर रोक लगाना, प्रदेश के 75 लाख किसानों में से मात्र 56 लाख किसानों को किसान ाsढडिट कार्ड दिये जाने, शासन की योजनाओं का लाभ मात्र 20 लाख किसानों को मिलना तथा 90 लाख किसानों को इससे बंचित रखना, मु. मंत्री ऋण राहत योजना का लाभ 20 लाख किसानों की वजाय मात्र 12 लाख किसानों को ही मिलना, एपेक्स बैंक को प्रतिवर्ष 100 करोड़ का लाभ मिलने की वजाय मात्र 50 करोड़ रह गया है।
जिन सहकारी अधिकारियों के विरूद्व करोड़ों के फर्जी ऋण के 10-10 आर्थिक अपराध वर्ष 2004 से दर्ज है तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 हजार के दण्ड से दण्डित किया गया, उनके विरूद्व कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। साथ ही संविधान के प्रावधानों के विरूद्व जाकर अवैध रूप से ''कैडर'' बनाये जाने की कार्यवाही भी की जा रही है।

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