Home » मध्य प्रदेश » ठेका श्रमिकों को समान काम का समान वेतन दिए जाने का नियम श्रम: राज्यमंत्री

ठेका श्रमिकों को समान काम का समान वेतन दिए जाने का नियम श्रम: राज्यमंत्री

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:14 March 2018 2:46 PM GMT
Share Post

योगेन्द्र मेहता

नागदा । इसे विडम्बना ही कहा जाएगा की पदेश की विधानसभा में श्रमराज्य मंत्री ठेका श्रमिकों को समान काम का समान वेतन दिये जाने की बात कहते हैं वहीं इसका पालन स्थानिय स्तर पर कहीं भी नहीं हो पा रहा है। आलम तो यह है कि लैंक्सेस उद्योग में तो कार्यरत 900 से अधिक श्रमिकों में से मात्र 26 ही श्रमिक स्थाई है तथा शेष कार्य ठेका श्रमिकों एवं स्टाफ के माध्यम से ही करवाया जा रहा है तथा उन्हें किसी भी पकार से समान काम का समान वेतन नहीं दिया जाता है।
मध्यपदेश विधानसभा के बजट सत्र में पदेश के श्रम राज्यमंत्री बालकृष्ण पाटीदार द्वारा बुधवार को विधानसभा में एक पश्न के उत्तर में लिखित जवाब दिया है कि मध्यपदेश में संविदा श्रम हेतु विभिन् कारखाने में केवल ऐसे ही कार्यो हेतु अनुज्ञप्ति जारी की जाती है जिनमें ठेका श्रमिकों का नियोजन/पतिबंधित नहीं है। ऐसे ठेका श्रमिक जो विभिन्न कारखाने में स्थाई नेचर का कार्य कर रहे हैं के संबंध में मध्यपदेश ठेका श्रम (विनियम और उन्मूलन) नियम 1973 के उपनियम 25 नि (पाँच) में पावधान है कि ऐसे मामलों में जहाँ संस्थान के नियोक्पा द्वारा सीधे नियोजित श्रमिकों का ही या उनके समान कार्य करने के लिए श्रमिकों को ठेके पर नियोजित किया गया हो, उनके वेतन की दर, अवकाश, कार्य के घंटे तथ सेवा की अन्य शर्ते वहीं होगी जो कि मुख्य नियोक्पा द्वारा सीधे नियोजित कर्मचारियों को उसी कार्य पर या समान कार्य करने पर देय हैं। उक्प के संबंध में कार्यवाही हुत श्रम कार्यालयों को पूर्व से ही दिशा निर्देश जारी हैं। श्रम राज्यमंत्री ने यह भी बताया कि उक्प संबंध में केन्द सरकार के निर्देश पाप्त नहीं हुए हैं। मध्यपदेश शासन द्वारा अधिसूचित नियोजनों में पभावशील न्यूनतम वेतन दरों अनुसार श्रमिकों को न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाता है।
आलोट क्षेत्र के विधायक जितेन्द गेहलोत ने विधानसभा में पश्न त्रढ. 19 (त्रढ. 1234) में पुछा था कि मध्यपदेश में संविदा श्रमिक जो पदेश के विभिन्न कारखानों में स्थायी नेचर का कार्य कर रहे हैं ऐसे श्रमिकों को स्थाई श्रमिकों के समान वेतनमान एवं सामाजिक सुरक्षा देने के संबंध में सरकार क्या कदम उठा रही है, यदि नही ंतो क्यों उक्प संबंध में श्रम कानून क्या हैं। साथ ही विधायक ने यह भी पुछा था कि केन्द सरकार द्वारा पश्नांश संबंधी व अन्य श्रमिकों का न्यूनतम वेतनमान रूपये 18 हजार देने के निर्देश हैं ? यदि हाँ तो इन श्रमिकों को इस निर्देशानुसार वेतनमान व अन्य सुविधाऐं क्यों नहीं हैं ? सरकार कब तब श्रमिकों के हित में केन्द सरकार के निर्देश व पावधानों पर अमल करेगी। गौरतलब है कि नगर के लैंक्सेस उद्योग में कार्यरत सभी 900 श्रमिकों में से 26 श्रमिक ही स्थाई है। वहीं पबंधन का तर्प है कि 350 स्थायी श्रमिक उद्योग में कार्य कर रहे हैं जिसमे स्टाफ कर्मचारी भी शामिल है। उद्योग द्वारा कई प्लाट में कार्य करने वाले श्रमिकों को भी स्टाफ के नाम से रख रखा है लेकिन उन्हें किसी भी पकार के अन्य हितलाभ पाप्त नहीं होते हैं।
कुछ ऐसा ही मामला ग्रेसिम, केमिकल डिविजन जैसे उद्योगों का भी है तथा यहाँ भी स्थायी नेचर का कार्य ठेका श्रमिकों से करवाया जाता है।

Share it
Top